Khabarwala24 News Hapur : कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में स्ववित्त पोषित विद्यालयों द्वारा लिए गए शुल्क की 15 प्रतिशत छात्रों से वसूली गई धनराशि वर्तमान सत्र में समायोजित कराया जाए और जो छात्र विद्यालय छोड़ चुके हैं उन्हें यह धनराशि वापस करनी होगी। इसको लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ने प्रधानाचार्यों को पत्र जारी कर, आदेशित कर दिया है। साथ ही पाठ्यक्रम को पांच वर्ष से पहले नहीं बदला जा सकेगा, विद्यालय के निकटवर्ती पांच से दस दुकानों पर कोर्स मिलें, पाठ्यक्रम में ऐसी पुस्तकें लगानी होंगी।
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी अभिभावकों पर भारी पड़ रही है। निजी प्रकाशनों की ऐसे किताबें विद्यालयों ने लगा दी हैं, जो चुनिंदा एक या दो दुकान पर ही मिलती हैं।
क्या किया आदेश
जिला विद्यालय निरीक्षक ने अभिभावकों से जुड़ी तीन समस्याओं के बिंदुवार आदेश जारी किए हैं। इनका अनुपालन न करने वालों में सख्त कर्रवाई की चेतावनी दी है। इसमें महत्वपूर्ण यह भी है कि अब स्कूलों को कोविड के दौरान सत्र 2020-21 में ली गई फीस का 15 फीसदी पैसा या तो इस सत्र में समायोजित करना होगा या फिर छात्रों को वापस करना होगा।
टीसी काटने के एवज में नहीं ले सकेंगे तीन से छह महीने का अग्रिम शुल्क
डीआईओएस ने प्रधानाचार्यों को भेजे पत्र में निर्देशित किया कि अभिभावकों की शिकायतें मिल रहीं हैं कि जो स्कूल टीसी दे रहे हैं, वह छात्रों से तीन से छह महीने का अग्रिम शुल्क ले रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि नियमानुसार सिर्फ टीसी शुल्क लिया जाए, किसी भी प्रकार का अनियमित शुल्क अभिभावकों से न वसूला जाए।