Khabarwala 24 News New Delhi : 2025 Mahakumbh Mela साल 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में लगाया जा रहा है। महाकुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से होगी और इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा। 30-45 दिन तक चलने वाला महाकुंभ हिंदुओं के लिए काफी मायने रखता है।
कुंभ को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक मेले में से एक माना जाता है। महाकुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है और इनमें प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ सबसे भव्य होता है। भारत ही नहीं, दुनिया के हर कोने से लोग कुंभ मेले में हिस्सा लेने आते हैं।
महाकुंभ मेले पर बनेगा ये शुभ संयोग (2025 Mahakumbh Mela)
महाकुंभ मेले पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन इस योग का निर्माण सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होगा और सुबह 10 बजकर 38 मिनट इसका समापन होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कुंभ मेले पर गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ का शाब्दिक अर्थ है घड़ा। ऋषियों के काल से कुंभ मेला लगता आ रहा है।
कब होंगे महाकुंभ के छह शाही स्नान (2025 Mahakumbh Mela)
प्रयागराज कुंभ मेले में चार शाही स्नान होंगे। महाकुंभ मेला का पहला शाही स्नान 13 जनवरी 2025 को होगा। दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर होगा। तीसरा स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा। चौथा शाही स्नान 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा। पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा और आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा। कुछ साल पहले हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था।
तय होती है महाकुंभ मेले की तारीख (2025 Mahakumbh Mela)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, महाकुंभ मेले की तिथि ग्रहों और राशियों के अनुसार ही तय होती है. कुंभ मेले की तिथि निर्धारित करने के लिए सूर्य और बृहस्पति को महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुंभ का स्थान चुना जाता है, जो कि निम्न प्रकार से है:
प्रयागराज- जब बृहस्पति वृषभ राशि में होते हैं और सूर्य मकर राशि में विराजमान होते हैं तो मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है।
हरिद्वार- जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तब कुंभ का मेला हरिद्वार में लगता है।
नासिक- जिस समय सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में विराजमान होते हैं तो उस दौरान कुंभ का मेला महाराष्ट्र के नासिक में लगता है।
उज्जैन- बृहस्पति के सिंह राशि में और सूर्य के मेष राशि में होने पर उज्जैन में महाकुंभ होता है।
महाकुंभ मेले का एतिहासिक महत्व (2025 Mahakumbh Mela)
मान्यतानुसार, महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है। कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्य देवता कमजोर पड़ गए थे। इसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें सारी बात बताई। भगवान विष्णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी।
अमृत के लिए 12 दिनों तक युद्ध चला (2025 Mahakumbh Mela)
जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया। यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्यों के हाथ में अमृत कलश आ गया। इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था। समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं इसलिए इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।