Khabarwala24 News Garhmukhteshwar (Hapur) : BLK Max Hospital जिस मरीज को एक हफ्ते के अंदर 100 से ज्यादा इस्केमिक अटैक या मिनी स्ट्रोक आए, उसका BLK Max Hospital बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (नई दिल्ली) में सफलतापूर्वक इलाज करने का दावा किया है। 65 वर्षीय इस मरीज को नई जिंदगी मिली है। मरीज के दाहिने इंटरनल कैरोटिड आर्टरी से ब्लॉकेज हटाने के लिए इंट्राक्रैनील स्टेंटिंग की गई।
इस्केमिक और हेमोरेगिक स्ट्रोक के बीच अंतर करते हुए मेडिकल टीम ने स्ट्रोक के कारणों की समय पर पहचान और इलाज के लिए विशेषज्ञ के परामर्श भूमिका के बारे में बताया। BLK Max Hospital बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में न्यूरोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर और न्यूरो वैस्कुलर इंटरवेंशन के प्रमुख डॉक्टर विनीत बांगा ने स्ट्रोक के कारणों की तुरंत पहचान की आवश्यकता पर जोर देते हुए मरीज के बारे में बताया कि इस मरीज को बार-बार कमजोरी की शिकायत हो रही थी और बोलने में परेशानी हो रही थी।
BLK Max Hospital बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में न्यूरोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर और न्यूरो वैस्कुलर इंटरवेंशन के प्रमुख डॉक्टर विनीत बांगा ने कहा, ”हापुड़ के श्रीनिवास जौहर (क्रोनिक स्मोकर) को लगभग छह महीने से बोलने और समझने में कठिनाई हो रही थी। इसके अलावा उनके दाहिने हाथ और पैर में कमजोरी की बार-बार शिकायत हो रही थी. अलग-अलग अस्पतालों में छह महीने से ज्यादा वक्त कोशिश की मगर उन्हें राहत नहीं मिली। निराश हो चुके श्रीनिवास जौहर ने BLK Max Hospital बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का रुख किया। शुरुआत में स्ट्रोक के एपिसोड हर हफ्ते 1-2 बार होते थे और 5 मिनट से कम समय तक चलते थे, लेकिन धीरे-धीरे दिन में कई बार ऐसा होने लगा और स्ट्रोक 10-15 मिनट से ज्यादा वक्त तक चलने लगे.”
डॉक्टर बांगा ने बताया कि, ”काफी जांच-पड़ताल के बाद हमें पता चला कि मरीज के मस्तिष्क के बाईं ओर ब्लड की आपूर्ति करने वाली वाहिकाओं का पूरा रोड़ा था, साथ ही रक्त वाहिकाएं सिकुड़ भी चुकी थीं, जो मस्तिष्क के दाईं ओर ब्लड सप्लाई करती थीं। ब्लड की यह कमी गंभीर स्ट्रोक का कारण बन रही थी। उन्हें इंट्राक्रैनील स्टेंटिंग की सलाह दी गई, जिसके बाद वह अच्छी तरह से ठीक हो गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जैसा कि मैं अपने सभी रोगियों को सलाह देता हूं, स्ट्रोक के मूल कारण को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। ये समस्या डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, खराब जीवन शैली और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों की वजह से हो सकती है.’
