Monday, December 23, 2024

AIIMS देश का पहला एम्सइस राजकुमारी के कारण बन पाया था , जानिए अस्पताल बनने की क्या है कहानी

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Khabarwala 24 News New Delhi: AIIMS देश की राजधानी दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स को कौन नहीं जानता है। देश के दूर-दराज इलाकों से भी लोग एम्स में डॉक्टर को दिखाने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एम्स की स्थापना कैसे हुई थी और इसके पीछे किसका हाथ था। आज हम आपको उस राजकुमारी के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने एम्स का सपना देखा था।

एम्स की स्थापना (AIIMS)

देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर वो महिला थी, जिन्होंने एम्स का सपना देखा था। आपको बता दें कि 2 फरवरी 1887 के दिन राजकुमारी अमृत कौर का जन्म लखनऊ में हुआ था। उनके पिता राजा हरनाम सिंह अहलूवालिया थे, जिन्हें अंग्रेजों ने सर की उपाधि से नवाजा था। वह पंजाब में कपूरथला रियासत के महाराज के छोटे बेटे थे।

जानकारी के अनुसार कपूरथला की राजगद्दी को लेकर विवाद शुरू हुआ तो राजा हरनाम सिंह ने रियासत ही छोड़ दी और कपूरथला से लखनऊ आ गए थे। इसके बाद यहां वह अवध रियासत के मैनेजर के रूप में काम करते थे। इतना ही नहीं वह धर्म बदलकर क्रिश्चियन बन गए थे। राजा हरनाम सिंह का विवाह पश्चिम बंगाल (तब बंगाल) की प्रिसिला से हुई थी, जिनके पिता का नाम गोकुलनाथ चटर्जी था। राजा साहब और प्रिसिला के नौ बेटे थे। सबसे छोटी और 10 वीं संतान के रूप में राजकुमारी अमृत कौर का जन्म हुआ था।

राजकुमारी विदेश से पढ़ी थी (AIIMS)

राजा हरनाम सिंह अहलूवालिया ने राजकुमारी अमृत कौर को पढ़ने के लिए विदेश भेजा था। उन्होंने स्कूली पढ़ाई इंग्लैंड के डॉरसेट में स्थित शीरबार्न स्कूल फॉर गर्ल्स से पूरी की थी। इसके बाद राजकुमारी अमृत कौर ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था और वहां से ग्रेजुएशन किया था. पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकुमारी 1908 में भारत लौट आई थी।

राजनीति की शुरूआत (AIIMS)

महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले से प्रभावित होकर राजकुमारी अमृत कौर स्वाधीनता संग्राम में शामिल हुई थी। उन्हीं के जरिए राजकुमारी ने महात्मा गांधी के बारे में जाना था। इसके बाद तो वह महात्मा गांधी की मुरीद हो गई थी और दांडी मार्च के कारण जेल भी गई थी। वहीं माता-पिता के निधन के बाद साल 1930 में उन्होंने राजमहल त्याग दिया और अपना जीवन स्वाधीनता आंदोलन को समर्पित कर दिया था। अमृत कौर का देश की आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान माना जाता है।

मिली थी कैबिनेट में जगह (AIIMS)

विदेश से पढ़ी-लिखी राजकुमारी अमृत कौर देश की आजादी के बाद स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। हालांकि जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में आजाद भारत के पहले मंत्रिमंडल का गठन हुआ, तब उसमें राजकुमारी अमृत कौर का नाम नहीं था। लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था।

एम्स बनाने का सपना (AIIMS)

अमृता कौर का सपना था कि देश में इलाज और चिकित्सा जगत में शोध के लिए एक उच्च संस्थान की स्थापना की जानी चाहिए। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के रूप में 18 फरवरी 1956 को लोकसभा में एक नया विधेयक पेश किया था। कहा जाता है कि सदन में विधेयक प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने कोई भाषण तैयार नहीं किया था। राजकुमारी अमृत कौर ने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर कहा था कि हमेशा से यह मेरा सपना था कि देश में चिकित्सा में स्नातकोत्तर की पढ़ाई और चिकित्सा शिक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखने के लिए एक ऐसा संस्थान होना चाहिए, जो युवाओं को अपने देश में ही आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित करे।

जुटाया एम्स के लिए धन (AIIMS)

अमृता कौर के इस सपने को हर कोई सराह रहा था, लेकिन उस वक्त निर्माण में काफी रकम लगने की उम्मीद थी। इसलिए राजकुमारी अमृत कौर ने विधेयक पेश करने के साथ ही एम्स की स्थापना के लिए धन जुटाना भी शुरू कर दिया था। विदेश में उनकी दोस्ती होने के कारण उन्होंने अपने संपर्कों का सही इस्तेमाल किया था। इसके जरिए उन्होंने अमेरिका के साथ ही स्वीडन, पश्चिमी जर्मनी, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक से फंड जुटाया था। इतना ही नहीं उन्होंने शिमला में बना अपना महल भी एम्स के लिए दे दिया था। आपको बता दें कि संसद के दोनों सदनों में मई 1956 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एक्ट को पास कर दिया गया और इसकी नींव पड़ गई थी। आपको बता दें कि अमृता कौर व वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली की प्रमुख बनने वाली पहली एशियाई महिला भी थी। 6 फरवरी 1964 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया था।

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