Khabarwala 24 News New Delhi : Alimony Factors After Divorce भारत के स्टार क्रिकेटर युजवेंद्र चहल कोर्ट के आदेश के बाद एलिमनी के तौर पर धनश्री वर्मा को 4.75 करोड़ की मोटी रकम अदा करेंगे। क्रिकेटर अब तक करीब 2.30 करोड़ रुपये दे चुके हैं और बाकी की रकम आगे चुकाएंगे। तलाक और फिर एलिमनी का यह कोई पहला मामला नहीं है। चाहे किसी हॉलीवुड सेलिब्रिटी का तलाक हो या बॉलीवुड में हाई-प्रोफाइल ब्रेकअप, इमोशनलड ड्रामा के अलावा एलिमनी की मोटी रकम हमेशा से चर्चा का विषय बनती आई है।
कैसे तय होती है एलिमनी? (Alimony Factors After Divorce)
ऐसे में कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर अदालतें कैसे तय करती हैं कि एक पति या पत्नी को दूसरे को कितनी रकम एलिमनी के तौर पर देनी चाहिए। वैसे तो देश में तलाक के बाद एलिमनी की रकम देश में किसी तय फॉर्मूले पर आधारित नहीं है। अदालतें पति-पत्नी दोनों की वित्तीय स्थिति, उनकी कमाई की क्षमता और शादी में उनके योगदान जैसे कई फैक्टर्स देखने के बाद इस पर विचार करती हैं।
कोई सख्त नियम नहीं है (Alimony Factors After Divorce)
मैग्नस लीगल सर्विसेज एलएलपी में पार्टनर और फैमिली लॉ एडवोकेट निकिता आनंद ने कहा कि भारत में तलाक के मामलों में गुजारा भत्ता यानी एलिमनी को लेकर कोई सख्त नियम नहीं है। अदालतें कई फैक्टर के आधार पर फैसले लेती हैं, जैसे कि दोनों पति-पत्नी की वित्तीय स्थिति, उनकी कमाई की क्षमता और विवाह में उनका योगदान। उदाहरण के लिए अगर 20 साल से गृहिणी रही प्रिया अपने अमीर कारोबारी पति राजेश को तलाक देती है, तो कोर्ट विचार करेगा।
शादी के दौरान बर्ताव अहम (Alimony Factors After Divorce)
शैक्षिक रूप से योग्य होने के बावजूद कोर्ट यह स्वीकार करेगा कि प्रिया ने अपने पति के व्यवसाय, उसके परिवार और उनके बच्चों का समर्थन करने के लिए अपने करियर का त्याग किया। ऐसे में दिए गए गुजारा भत्ते का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि तलाक के बाद प्रिया एक समान जीवनशैली बनाए रखे। साथ ही राजेश की भुगतान करने की क्षमता पर भी विचार किया जाए। यह पूरी निष्पक्षता के साथ तय किया जाता है।
कई पहलुओं पर विचार भी (Alimony Factors After Divorce)
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट श्रीसत्य मोहंती ने बताया कि गुजारा भत्ता तय करते समय अदालतें कई पहलुओं पर विचार करती हैं। मोहंती ने कहा कि अदालत कई फैक्टर ध्यान में रखती है, जिसमें दोनों पक्षों की इनकम, विवाह के दौरान बर्ताव, सामाजिक और वित्तीय स्थिति, व्यक्तिगत खर्च और आश्रितों के प्रति जिम्मेदारियां शामिल हैं। विवाह के दौरान पत्नी की लाइफस्टाइल को भी ध्यान में रखा जाता है। इन अलग-अलग स्थिति पर निर्भर करता है।
कमाई बराबर तो भत्ता नहीं (Alimony Factors After Divorce)
सर्वोच्च अदालत ने महिला-केंद्रित कानूनों के दुरुपयोग के प्रति भी आगाह किया है। उदाहरण के लिए, अगर पति एक लाख रुपये प्रति माह कमाता है और पत्नी भी एक लाख रुपये प्रति माह कमाती है, तो गुजारा भत्ता जरूरी नहीं है। अगर दोनों की आर्थिक स्थिति एक जैसी है। हालांकि, अगर पति-पत्नी में से किसी एक पर बच्चों की देखभाल जैसे ज़्यादा वित्तीय बोझ हैं, तो कोर्ट वित्तीय सहायता का आदेश दे सकता है।
पति को भी गुजारा भत्ता (Alimony Factors After Divorce)
हालांकि, भारतीय कानून कुछ शर्तों के तहत पुरुषों को गुजारा भत्ता मांगने की इजाजत देता है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, पति धारा 24 और 25 के तहत गुजारा भत्ता मांग सकता है, जो जेंडर न्यूट्रल अप्रोच अपनाता है। हालांकि, 1954 का विशेष विवाह अधिनियम, 2023 का नागरिक सुरक्षा संहिता, 1956 का हिंदू एडॉप्शन और मेंटेनेंस एक्ट और 2005 का घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम जैसे कानून गुजारा भत्ता देने पर केंद्रित हैं।
असाधारण परिस्थितियां (Alimony Factors After Divorce)
मोहंती ने कहा कि पति को केवल असाधारण परिस्थितियों में ही गुजारा भत्ता मिल सकता है। उसे अदालत में यह साबित करना होगा कि वह किसी वैध कारण से अपनी पत्नी पर आर्थिक रूप से निर्भर था, जैसे कि विकलांगता के कारण उसे कमाने में दिक्कत होती थी। हालांकि अदालतें अक्सर पुरुषों को गुजारा भत्ता देने में रुचि नहीं रखती हैं और ऐसे मामलों को तथ्यों के आधार पर ही निपटाया जाता है।
बाकी देशों में क्या है कानून (Alimony Factors After Divorce)
बाकी के देशों में गुजारा भत्ता तय करने के अपने-अपने तरीके हैं। कुछ देश सख्त फॉर्मूले का पालन करते हैं जबकि अन्य देश व्यापक दिशा-निर्देशों का इस्तेमाल करते हैं। पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट अंशुमान सिंह ने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में, कुछ राज्य फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हैं, जबकि अन्य आय, विवाह की अवधि और दोनों भागीदारों की कमाई क्षमता जैसे कई पहलुओं को देखते हैं। ब्रिटेन में अदालतें निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
एकमुश्त समझौता शामिल (Alimony Factors After Divorce)
जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में वित्तीय सहायता को प्राथमिकता दी जाती है। स्कैंडिनेवियाई देशों में शायद ही कभी गुजारा भत्ता दिया जाता है, क्योंकि दोनों भागीदारों से आत्मनिर्भर होने की अपेक्षा की जाती है। चीन और जापान में गुजारा भत्ता असामान्य है और इसमें आमतौर पर एकमुश्त समझौता शामिल होता है। शरिया कानून का पालन करने वाले मध्य पूर्वी देशों में गुजारा भत्ता आमतौर पर अल्पकालिक होता है, जो तलाक के बाद वेटिंग पीरियड को कवर करता है।
पत्नी को कोर्ट की सहानुभूति (Alimony Factors After Divorce)
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में गुजारा भत्ता अक्सर जेंडर न्यूट्रल और फॉर्मूले से तय होता है। भारत में दोष-आधारित तलाक प्रणाली का पालन किया जाता है। जहां पत्नी को अदालत की सहानुभूति मिलती है और पति को क्रूरता या व्यभिचार जैसे विशिष्ट आरोपों को साबित करना होता है। कई पश्चिमी देश दोष-रहित तलाक प्रणाली का पालन करते हैं, जहां अदालतें तटस्थ नजरिया अपनाती हैं। अदालतें एकमुश्त या मासिक भुगतान के रूप में गुजारा भत्ता दे सकती हैं।