Khabarwala 24 News New Delhi : All Sins Washed Away जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। सनातन शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। विवाहित महिलाएं रोजाना सुबह में पंचकन्या को प्रणाम करती हैं। सनातन शास्त्रों में पंचकन्या के बारे में विस्तार से वर्णन है। धार्मिक मान्यता है कि पंचकन्या के स्मरण और प्रणाम मात्र से जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः विवाहित महिलाएं प्रतिदिन पंचकन्या को सुबह उठने के समय प्रणाम करती हैं। हालांकि, शास्त्रों में पंचकन्या के नाम को लेकर अलग-अलग वर्णन है। कई जगहों पर अहिल्या, द्रौपदी, तारा, कुंती एवं मंदोदरी को पंचकन्या बताया गया है। वहीं, एक जगह पर जगत जननी मां सीता को भी पंचकन्या में शामिल किया गया है। इस बारे में धर्म गुरुओं की मानें तो अहिल्या, द्रौपदी, तारा, कुंती एवं मंदोदरी पंचकन्या हैं।
पंचकन्या, आइए इनके बारे में सबकुछ जानते हैं (All Sins Washed Away)
माता अहिल्या (All Sins Washed Away)
माता अहिल्या के सतीत्व कथा का वर्णन शास्त्रों में है। माता अहिल्या सतयुग के समकालीन थी। भगवान ब्रह्मा की मानसपुत्री माता अहिल्या बेहद रूपवान थीं। इनके लिए ब्रह्माजी ने विवाह हेतु एक शर्त रखी। सबसे पहले त्रिभुवन की परिक्रमा में गौतम ऋषि सफल हुए। कालांतर में इंद्र ने छल से माता अहिल्या के साथ प्रणय करने की कोशिश की। हालांकि, माता अहिल्या ने इंद्र देव को पहचान लिया। उसी समय गौतम ऋषि भी आश्रम आ गए। इंद्र को देख उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को शाप दिया कि वह पत्थर की मूर्ति बन जाएगी। भगवान राम के दर्शन पाकर उनका उद्धार होगा। त्रेता युग में भगवान राम के दर्शन पाकर माता अहिल्या को मानव रूप प्राप्त हुआ।
माता तारा (All Sins Washed Away)
माता तारा भगवान राम के समकालीन थीं। उनके पति महान शक्तिशाली वानरराज बाली थे। तारा समुद्र मंथन के समय उत्पन्न हुई थीं। एक शर्त के तहत अप्सरा तारा का विवाह बाली के साथ हुआ। जगत जननी मां सीता की खोज के दौरान भगवान श्रीराम के हाथों वानरराज बाली को सद्गति प्राप्त हुई। उस समय उन्होंने भगवान राम को शाप दिया था कि अगले जन्म में उनका वध भी बाली के हाथों होगा। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का वध शिकारी ने किया था। वह शिकारी कोई और नहीं, बल्कि वानरराज बाली थे।
देवी मंदोदरी (All Sins Washed Away)
धर्म शास्त्रों में निहित है कि दशानन रावण की तरह मंदोदरी भी भगवान शिव की भक्त थीं। उन्होंने शिव भक्ति कर यह वरदान पाया था कि उनकी शादी संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति रावण से हुई। रावण ज्योतिष और महान पंडित था। मंदोदरी स्वर्ग की अप्सरा हेमा की पुत्री थीं। सीता हरण के बाद मंदोदरी ने कई बार दशानन रावण को भगवान श्रीराम से वैर न रखने और जगत जननी को लौटाने की सलाह दी। हालांकि, रावण ने एक नहीं सुनी। अंतोगत्वा रावण को भगवान श्रीराम के हाथों सद्गति प्राप्त हुई। अतः माता मंदोदरी को भी पंचकन्या कहा जाता है।
माता कुंती (All Sins Washed Away)
माता कुंती ममता की मूर्ति थीं। महाभारत काल में कौरवों द्वारा कष्ट और पीड़ा दिए जाने के बाद भी माता कुंती ने कौरवों को कोई शाप नहीं दिया। एक बार गृह आगमन के दौरान माता कुंती ने ऋषि दुर्वासा की बहुत सेवा की। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि दुर्वासा ने माता कुंती के विवाह की गणना की। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि उनकी शादी पांडु से होगी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं होगी। उस समय ऋषि दुर्वासा ने इच्छा संतान प्राप्ति का वरदान दिया। कालांतर में माता कुंती को देवताओं की कृपा से कई पुत्र प्राप्त हुए। इनमें अग्रज सूर्य पुत्र कर्ण और अनुज अर्जुन थे। अतः माता कुंती को भी सती कहा गया है।
माता द्रौपदी (All Sins Washed Away)
द्रौपदी द्वापर युग के समकालीन थीं। पंचकन्या में द्रौपदी की भी गिनती होती है। शास्त्रों में निहित है कि पूर्व जन्म में पति की मृत्यु के बाद भगवान शिव की कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वर मांगने को कहा। उस समय द्रौपदी ने पांच बार सर्वगुणसंपन्न पति की कामना की। भगवान शिव ने तत्क्षण द्रौपदी को वरदान दिया। द्वापर युग में द्रौपदी का विवाह पांडवों से हुआ था। पाणिग्रहण के समय एक ऋषि ने द्रौपदी को पूर्वजन्म के वरदान से अवगत कराया। महाभारत काल में द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की। उसके फलस्वरूप कौरव चीर हरण करने में सफल नहीं हो सके। अतः द्रौपदी को भी माता का दर्जा दिया गया है।