Wednesday, December 18, 2024

Amalaki Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में बेहद ही खास माना जाता है एकादशी पर्व, कब है आमलकी एकादशी, नोट करें दिन तारीख और शुभ मुहूर्त

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Khabarwala 24 News New Delhi : Amalaki Ekadashi 2024 हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आती है अभी फाल्गुन मास चल रहा है और इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा आमलकी एकादशी की तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

एकादशी का शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi 2024)

हिंदू पंचांग के अनुसार आमलकी एकादशी की शुरुआत 20 मार्च को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी की 21 मार्च को दोपहर 2 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगी। ऐसे में आमलकी एकादशी की व्रत पूजा 20 मार्च को करना शुभ रहेगा। लेकिन इस व्रत का पारण आप 21 मार्च को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से 3 बजकर 32 मिनट के बीच में कर सकते हैं ऐसा करने से व्रत पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होगा।

भगवान विष्णु पूजन मंत्र (Amalaki Ekadashi 2024)

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

आमलकी एकादशी पूजा विधि (Amalaki Ekadashi 2024)

सुबह उठकर स्नान करें (Amalaki Ekadashi 2024)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें फिर व्रत पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान की विधिवत पूजा करें। इस दिन भगवान विष्णु के संग माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती है और जीवन में खुशहाली आती हैं। इसके बाद पूजा घर को साफ करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।

पीली फूलमाला अर्पित करें (Amalaki Ekadashi 2024)

भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं। विष्णु जी का ध्यान करें। पूजा में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें। अंत में आरती करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे। गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उनकी मदद करें। अगले दिन सुबह पूजा-पाठ के बाद अपना व्रत खोलें।

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