Thursday, February 6, 2025

Amroha ईद पर दुबई में गई दोनों पोतों की जान, पोतों के आखिरी दीदार के इंतजार में आठ दिन बाद दादी ने भी छोड़ी दुनिया

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Khabarwala24 News Amroha : दो जवाब पोतों के शवों के आखिरी दीदार की आस में बूढ़ी दादी की जिंदगी की डोर भी टूट गई। बीते आठ दिन से वह दिन-रात उन्हें देखने की रट लगाए हुए थी। न रात में नींद आई और न दिन में चैन। सोमवार रात पोतों का नाम लेते-लेते वह भी दुनिया को अलविदा कर गई। दो जवान बेटों की मौत से परिजन में पहले ही कोहराम मचा हुआ था। अब दादी ने भी अंतिम सांस ले ली।

ओमान में सड़क हादसे में हुई थी मौत

आपको बता दें कि शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला दानिशमंदान निवासी लईक अहमद के परिवार में पत्नी सबीला बेगम के अलावा दो बेटियां और चार बेटे हैं। उनके एक बेटे सरफराज को बचपन में ही फूफी जेबुन निसा पत्नी नसीम अहमद निवासी मोहल्ला बेगम सराय ने गोद ले लिया था। सरफराज दुबई में कार मैकेनिक था जबकि लईक अहमद का दूसरा बेटा शाहनवाज भी दुबई में ही एक रेस्टोरेंट में एकाउंटेंट की नौकरी करता था।

बीते बुधवार को ईद की नमाज के बाद दोनों भाई अपने तीन दोस्तों के साथ दुबई से ओमान घूमने गए थे। वापस दुबई लौटते समय उनकी कार सड़क हादसे का शिकार हो गई। सरफराज व शाहनवाज की जहां मौके पर मौत हो गई तो वहीं कार सवार उनके दोस्त भी गंभीर घायल हो गए। इस खबर से यहां घर में ईद की खुशियां पलभर में गम में बदल गई। खाड़ी देशों में ईद की छुट्टी व कार्गो फ्लाइट की उपलब्धता न होने से परिजनों पर एक-एक दिन भारी बीता।

Amroha ईद पर दुबई में गई दोनों पोतों की जान, पोतों के आखिरी दीदार के इंतजार में आठ दिन बाद दादी ने भी छोड़ी दुनिया

ईद पर परिजन को दी थी ईद की मुबारकबाद, शाम को आई मौत की खबर

गत बुधवार को दुबई में ईद उल अजहा की नमाज के बाद सरफराज व शाहनवाज ने फोन पर परिजनों से बात भी की थी। परिवार को ईद की मुबारकबाद देते हुए सभी सदस्यों के साथ त्योहार की खुशियों को साझा किया था। इसके कुछ ही घंटे बाद आई दोनों की मौत की मौत की खबर ने परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया। खुशी का पल कुछ ही देर में मातम में बदल गया।

इंतजार में दादी ने भी बंद कर ली आंखें

दादी महर जहां भी गहरे सदमे में थीं। बीते सात दिन से अपने लाडलों के दीदार में उनकी आंखें पथरा रहीं थीं। परिवार की माने तो बीते सात दिन से वह ठीक से सोई तक नहीं थीं। पोतों के शव पहुंचने औ आखिरी बार जी भर को उन्हें देखने की उम्मीद में वह लगातार जाग रही थीं। उनके दोनों पोतों के शव तो वतन वापस नहीं पहुंच सके लेकिन सदमे में पहुंची महर जहां ने सोमवार रात दम तोड़ दिया। सभी का यही कहना है कि काश दोनों के शव समय से आ जाते तो दादी को उनका अंतिम बार उन्हें देख लेंती।

सरफराज की तय थी मंगनी, घर में चल रही थी तैयारियां

सरफराज की मंगनी मोहल्ले की ही निवासी एक युवती के साथ हुई थी। शादी के चलते उसने कुछ समय पहले ही मोहल्ले में अपना नया घर भी बनवा लिया था। तय था कि वे अब जब भी दुबई से अमरोहा आएंगे तो उनका निकाह करा दिया जाएगा। परिजन ने भी इसको लेकर पूरी तैयारियां की थीं लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।

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