Wednesday, November 13, 2024

AMU Minority Status अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकरार, AMU की सुप्रीम कोर्ट में जीत, अब 3 जजों की नई बेंच करेगी फैसला

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Khabarwala 24 News New Delhi : AMU Minority Status अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को फैसला सुनाते वक्त सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि चार जजों की एक राय है जबकि 3 जजों की राय अलग है।

साथ ही कोर्ट ने कहा कि अल्पसंख्यक दर्जे की स्थिति का फैसला अब 3 जजों की नई बेंच करेगी। फैसले को लेकर जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस शर्मा ने अपनी असहमति जताई। जबकि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने और जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के लिए बहुमत का फैसला लिखा।

फैसला फिर पलटा (AMU Minority Status)

सुप्रीम कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया जो एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इनकार करने का आधार बना था। हालांकि, यह इस फैसले में विकसित सिद्धांतों के आधार पर एएमयू की अल्पसंख्यक स्थिति को नए सिरे से निर्धारित करने के लिए इसे 3 जजों की पीठ पर छोड़ दिया है।

अधिकार पूर्ण नहीं (AMU Minority Status)

नई बेंच नियम और शर्तों के आधार पर विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक दर्जे की स्थिति का फैसला करेगी। सीजेआई ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अनुच्छेद 30 द्वारा प्रदत्त अधिकार पूर्ण नहीं है। इस प्रकार अल्पसंख्यक संस्थान का विनियमन अनुच्छेद 19 (6) के तहत संरक्षित है।

भेदभाव की गारंटी (AMU Minority Status)

उन्होंने कहा कि एससी ने कहा है कि केंद्र प्रारंभिक आपत्ति पर जोर नहीं दे रहा है कि 7 जजों का संदर्भ नहीं दिया जा सकता। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव न करने की गारंटी देता है। सवाल यह है कि इसमें भेदभाव न करने के अधिकार के साथ कोई विशेष अधिकार भी है।

8 दिन की सुनवाई (AMU Minority Status)

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को संविधान अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ है, जो धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने तथा उनके प्रशासन का अधिकार भी देता है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया।

फैसला सुरक्षित (AMU Minority Status)

पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा भी शामिल हैं। जजों की पीठ ने 8 दिन तक दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को इस सवाल पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कब बना था AMU (AMU Minority Status)

एक फरवरी को एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मसले पर देश की शीर्ष अदालत ने कहा था कि एएमयू एक्ट में 1981 का संशोधन, जिसने प्रभावी रूप से इसे अल्पसंख्यक दर्जा दिया, ने केवल आधे-अधूरे मन से काम किया। प्रतिष्ठित संस्थान को 1951 से पहले की स्थिति में बहाल नहीं किया।

1951 का संशोधन (AMU Minority Status)

एएमयू एक्ट, 1920 अलीगढ़ में एक शिक्षण और आवासीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की बात करता है जबकि 1951 के संशोधन के जरिए विश्वविद्यालय में मुस्लिम छात्रों के लिए अनिवार्य धार्मिक शिक्षा को खत्म करने का प्रावधान किया गया।

1920 में तब्दील (AMU Minority Status)

इस प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना साल 1875 में सर सैयद अहमद खान की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में की गई थी। कई साल के बाद 1920 में, इसे एक विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया गया।

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