Sunday, July 7, 2024

Anil dujana के Encounter के बाद दुजाना गैंग में मची अफरी तफरी, कई सदस्य हुए अंडरग्राउंड जानिए क्या है पूरा मामला

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KHABARWALA24 NEWS NOIDA: Anil dujana के एनकाउंटर के बाद दुजाना गैंग में अफरा तफरी मच गई है। इस गैंग के सदस्यों को विभिषण की तलाश है। हालांकि पुलिस की इस बड़ी कार्रवाई के बाद इस गैंग के सदस्य अंडरग्राउंड हो गए। पुलिस भी गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है।

Anil dujana ने सुंदर भाटी गैंग की मदद से 23 वर्ष पहले जरायम की दुनिया में कदम रखा। अति महत्वकांक्षी होने की वजह से जल्द ही सुंदर भाटी से अनबन हो गई। उस समय नरेश भाटी गैंग भी काफी प्रसिद्ध था। अनिल दुजाना इस गैंग के साथ रहकर काम करने लगा। मार्च, 2004 में सुंदर भाटी गैंग ने नरेश भाटी की हत्या कर दी। नरेंश भाटी हत्याकांड के बाद गैंगवार शुरु हो गई। नरेश के भाई रणपाल भाटी को वर्ष 2006 में पुलिस ने मार गिराया। इसके बाद रणदीप भाटी और उसका भतीजा अमित कसाना खुलकर सामने आ गए। अनिल दुजाना भी उनके साथ शामिल हो गया।

गैंग में हैं 40 से ज्यादा सदस्य

पुलिस सूत्रों के अनुसार अनिल दुजाना के गैंग में वर्तमान में गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद के अलावा मेरठ के करीब 40 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं। इस एनकाउंटर के बाद दुजाना गैंग में खलबली मच गई है। गैंग के सदस्य अंडर ग्राउंड हो गए, लेकिन अनिल दुजाना की सूचना देने वाले विभिषण की तलाश में वह जुट गए।

यूपी एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था Anil dujana

Anil dujana यूपी एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन अपने पीछे काफी सारी चीजें छोड़ कर चला गया है। अपराधिक दुनिया में कदम रखने के बाद सबसे पहले गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में प्रॉपर्टी पर अनिल दुजाना ने कब्जा करना शुरू किया था। जमीन पर कब्जा करने के बाद अनिल दुजाना और उसके साथी प्रॉपर्टी पर “जय दादी सती” और “JDS” लिख देते थे। इसका मतलब था कि इस जमीन पर अब Anil dujana अनिल दुजाना का कब्जा है। उसके बाद उस जमीन पर कोई अन्य व्यक्ति हाथ डालने की हिम्मत नहीं करता था। जिसके बाद लगातार JDS को खौफ बढ़ता गया और JDS कोड अनिल दुजाना के नाम से मशहूर हो गया।

“जय दादी सती” की पूजा करता था Anil dujana

Anil dujana “जय दादी सती” की पूजा करता था। जब भी वह पैरोल पर बाहर आता था तो दुजाना गांव में जय दादी सती मंदिर में जाकर पूजा-पाठ करता था। अगर Anil dujana अनिल दुजाना किसी संपत्ति पर कब्जा कर लेता था तो उसपर जय दादी सती लिख देता था। जय दादी सती को कोड वर्ड में JDS लिखा जाता है।

प्रोपर्टी से लेकर गाड़ी तक पर लिखा हुआ है JDS

सूत्रों के अनुसार Anil dujana अनिल दुजाना की हर गाड़ी के ऊपर JDS लिखा हुआ है। इसके अलावा उसके घर पर और अन्य अवैध संपत्ति पर भी JDS लिखा हुआ है। इसको अनिल दुजाना का कोड कहा जाता है। बताया जाता है कि शादी के बाद अनिल दुजाना ने हिंदू रीति रिवाज के साथ जय दादी सती मंदिर में पूजा-पाठ की थी। वह कुछ दिनों की पैरोल पर आकर अक्सर अपने परिवार को मंदिर जाता था।

265 साल पहले हुई थी ‘जय दादी सती’ मंदिर की स्थापना

बताया जाता है कि नोएडा के दुजाना गांव में जय दादी सती की स्थापना करीब 265 साल पहले हुई थी। यह भी बताया जाता है कि उस समय दुजाना गांव के रहने वाले भागीरथ सिंह का विवाह हरियाणा के पाली गांव में रहने वाली रामकौर से हुआ था। भागीरथ सेना में तैनात थे। विवाह के तुरंत बाद वह अपनी पलटन के साथ बॉर्डर पर चले गए थे और वहां पर दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। बताते हैं कि शहीद होने की सूचना मिलने से पहले उनकी पत्नी रामकौर को अनिष्ट होने का आभास हो गया था। उन्होंने तभी सती होने का प्रण लिया और अपने पति के शहीद होने की सूचना मिलने से पहले ही सती हो गई थी। जहां पर देवी रामकौर ने अग्नि समाधि ली थी। उसी स्थान पर “जय दादी सती” मंदिर का निर्माण हुआ है। बड़ी संख्या में यहां मंदिर में लोग आकर पूजा अर्चना करते हैं।

15 अदालतों से हुआ बरी

थाना बादलपुर में Anil dujana के खिलाफ दर्ज हुए हत्या, हत्या का प्रयास, गुंडा एक्ट, लूट, डकैती और अन्य जघन्य अपराधों में वह दोषमुक्त करार दिया गया। अनिल दुजाना अब तक 15 बार सबूतों के अभाव और गवाहों के मुकर जाने की वजह से बरी हो चुका था। अनिल के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर की बादलपुर, ईकोटेक-3, दादरी और नोएडा सेक्टर-20 थाना पुलिस सजा करवाने में कामयाब नहीं हुई। इतना ही नहीं गैंगस्टर एक्ट और कई दूसरे मुकदमों में अनिल दुजाना के खिलाफ पुलिस को सबूत नहीं मिले। मुकदमों से उसका नाम हटाना पड़ा। बाकी 50 से ज्यादा मुकदमे Anil dujana पर चल रहे हैं। जिनमें पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। ज्यादातर में गवाही की प्रक्रिया चल रही है। यह मुकदमे मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और दिल्ली की अदालतों में लंबित हैं। इन तमाम मुकदमों से जुड़े गवाह अदालतों में लंबे अरसे से हाजिर नहीं हो रहे हैं। कई मुकदमें तो करीब बीस साल पुराने हैं।

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