Khabarwala 24 News New Delhi :Artificial Intelligence इंसान अपनी क्षमता से जितनी बुद्धि का उपयोग कर सकता है. उसी क्षमता यानी चेतना को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में पैदा करने की कोशिश की जा रही है। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में चेतना का अस्तित्व केवल एक सैद्धांतिक प्रश्न नहीं है. इसके नैतिक, कानूनी, सुरक्षा प्रभाव जैसे कई मुद्दे हैं. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव और नियम कानून पर गहरा मंथन होता जा रहा है.
अब तमाम एआई सिस्टम में चेतन और अचेतन के बीच की सीमाओं को समझना बहुत जरूरी हो गया है. अभी इस क्षेत्र में पर्याप्त तरह से निवेश और पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है. एआई सिस्टम अब केवल वैज्ञानिक शोध और पड़ताल का ही विषय नहीं रह गया है. इसने अब उद्योगों में भी प्रवेश कर लिया है। एक अभूतपूर्व कदम के तौर पर, एसोसिएशन फॉर मेथेमैटिकल कॉन्शियसनेस साइंस ने चिंता जाहिर की है कि एआई कॉन्शियसनेस या जिसे हम मशीनों की चेतना भी कह सकते हैं।
चेतना की परिकल्पना है (Artificial Intelligence)
एआई चेतना या मशीन चेतना को सिंथेटिक या डिजिटल चेतना भी कहा जाता है। यह ऐसी चेतना की परिकल्पना है जो कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में संभव है। इसके जरिए यह मशीनों और उपकरणों में चेतना जैसी क्षमता लाई जा सकती है. जिस तरह से दिमाग में चेतना की वजह से विचार आते हैं।
अस्तित्व के प्रति चैतन्य (Artificial Intelligence)
एआई चेतना अजैविक, मानव निर्मित मशीन को दर्शाती है, जो खुद के अस्तित्व के प्रति चैतन्य होती है। यह बुद्धिमत्ता से एक कदम आगे की चीज है। इसका उपयोग वॉइस असिस्टेंट या ह्यूमनॉइड रोबोट में हो सकता है। बुद्धिमत्ता की तुलना में चेतना तक पहुंच मुश्किल है इसमें तकनीक के साथ दर्शन की भी भूमिका आ जाती है।
हैरानीजनक होंगे नतीजे (Artificial Intelligence)
साफ है कि एआई चेतना केवल परिकल्पना या अवधारणा तक सीमीत नहीं है. इसमें दिमाग, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, संज्ञानात्मक विज्ञान और तंत्रिका विज्ञान शामिल हो चुके हैं और गहराई से काम भी चल रहे हैं, जिसके नतीजे हैरान करने वाले साबित होंगे. एएमसीएस का कहना है कि इसके शोधों में तेजी बहुत जरूरी है।