Khabarwala 24 News New Delhi : Arvind Dhakad खेती को सफल बिज़नेस बनाने के लिए उसमें नवाचार करना बेहद जरूरी है। आज मिलते हैं, एक ऐसे किसान से जो अपने नवाचार से कई लोगों की मदद कर रहे हैं। रतलाम के अरविन्द धाकड़ 10 साल पहले तक पारम्परिक खेती करके, साधारण सा मुनाफा कमाते थे। लेकिन आज वह हाइड्रोपोनिक तरीके से न सिर्फ खेती कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी हाइड्रोपोनिक खेती सीखा रहे हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने जुगाड़ से बनाई है मध्य प्रदेश की यह पहली हाइड्रोपोनिक नर्सरी। इसकी वजह से आज वे खुद तो लाखों का मुनाफा कमा ही रहे हैं साथ ही उनसे सीखकर लोग खुद का काम या किचन गार्डन भी बना पा रहे हैं। इस तरह आज तक वह 7000 से ज्यादा लोगों को हाइड्रोपोनिक तकनीक सीखा चुके हैं।
खेती का तरीका बहुत पसंद आया (Arvind Dhakad)
दरअसल कुछ समय पहले अरविन्द इजरायल की एक यात्रा में गए थे और यहां से उनका पूरा जीवन ही बदल गया। इजरायल के एक Agri Tour में उन्होंने पहली बार स्ट्रॉबेरी के पौधे देखे थे। जो वर्टिकल बिना मिट्टी के लगे थे। अरविन्द को खेती का यह तरीका इतना पसंद आया कि उन्होंने रतलाम आकर इसे बनाने का फैसला किया।
छोटा हाइड्रोपोनिक सेटअप बनाया (Arvind Dhakad)
अरविन्द कहते हैं, “हाइड्रोपोनिक की खेती उस समय हमारे देश के लिए नई थी और कोई भी इसकी खेती नहीं करता था। पर मुझे इच्छा थी कि मुझे इसे करना है चाहे कुछ भी हो जाए। तो मैंने मेरे स्तर से मतलब हमारे जो पाइप होते हैं लोकल सामान होते हैं। जुगाड़ तकनीक से मैंने एक छोटा हाइड्रोपोनिक सेटअप बनाया।”
न तो जानकारी थी और न सामान (Arvind Dhakad)
उस दौरान उन्हें न तो इसकी कोई जानकारी थी न कहीं से सेटअप तैयार करने का सामान मिला। उन्होंने अपने भाई रविंद्र की मदद और खुद की सूझबूझ से न सिर्फ हाइड्रोपोनिक सेटअप बनाया बल्कि इसमें स्ट्रॉबेरी भी उगाकर दिखाई।
अपने खेत में चलाया ट्रेनिंग प्रोग्राम (Arvind Dhakad)
शुरुआत में लोग उन्हें कहते थे बिना मिट्टी के खेती कैसे होती है? पाइप के अंदर पानी डालकर कौन खेती करता है? लोगों को विश्वास ही नहीं होता था इसलिए कई लोग उनके खेत पर देखने आते थे। लोगों की भीड़ को देखते हुए उन्होंने अपने खेत में ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया।