Khabarwala24 News PRAYAGRAJ: Atiq ahmad,Asraf killing : Atiq अतीक पर Rajupal राजूपाल की हत्या का आरोप था। राजूपाल की हत्या शादी के मात्र नौ दिन बाद ही कर दी गई थी। राजू पाल की हत्या में नामजद होने के बावजूद अतीक सत्ताधारी सपा में बना रहा था। बात साल 2003 की है, जब Mulayam singh yadav मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी थी। उसी वक्त अतीक की SP सपा में वापसी हुई थी। 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक ने सपा के टिकट पर फूलपुर से चुनाव लड़ा और सांसद बनकर संसद में पहुंचा था।
Asraf अशरफ की हार बन गई थी Rajupal राजू पाल की हत्या का कारण
अतीक के सांसद बनने के बाद इलाहाबाद पश्चिम की सीट खाली हो गई थी। अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को मैदान में उतारा, लेकिन वो अपने भाई को जिता पाने सफल नहीं हुआ और Rajupal राजूपाल ने चार हजार वोटों से जीतकर विधायक बने। बस यही जीत राजूपाल की यही जीत Atiq अतीक को पसंद नहीं आई। उस वक्त अतीक अहमद परिवार के लिए यह एक बड़ा नुकसान था, क्योंकि 2004 के आम चुनावों में अतीक के इलाहाबाद (प्रयागराज)से लोकसभा सीट जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।
अतीक का दाहिना हाथ कहा जाता था राजूपाल
Rajupal राजू पाल को जिसे कभी अतीक का दाहिना हाथ कहा जाता था। राजू पर भी उस वक्त 25 मुकदमे दर्ज थे। अक्टूबर 2004 में राजू पाल विधायक बने। अगले महीने नवंबर में ही राजू के ऑफिस के पास बमबाजी और फायरिंग हुई, लेकिन राजू पाल बच गए। दिसंबर में भी उनकी गाड़ी पर फायरिंग की गई। Rajupal ने सांसद अतीक से जान का खतरा बताया था।
राजूपाल की 25 जनवरी, 2005 को हुई थी हत्या
25 जनवरी, 2005 को Rajupal राजू पाल के काफिले पर एक बार फिर हमला किया गया। राजूपाल पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई गईं थी। फायरिंग करने वाले घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गए। गाड़ी में बैठे समर्थकों ने राजूपाल को टेंपो में लादा और अस्पताल की तरफ लेकर भागे। शूटरों को लगा कि राजूपाल अभी जिंदा है। शूटरों ने एक बार फिर से टेंपो रोककर फायरिंग शुरू कर दी। करीब 5 पांच किलोमीटर तक हमलावरों ने टेंपो का पीछा किया और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजूपाल को जीवन ज्योति अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने राजूपाल Rajupal को मृत घोषित कर दिया। राजूपाल को 19 गोलियां लगी थीं।
राजूपाल की हत्या के नौ दिन पहले ही हुई थी शादी
Rajupal की हत्या का आरोप Atiq अतीक पर लगा था। राजू की पत्नी पूजा पाल जिसकी नौ दिन पूर्व ही शादी हुई थी, उसका सुहाग उजड़ चुका था। पूजा ने अतीक, अशरफ, फरहान और आबिद समेत कई लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज करवाया था। इसके बाद बसपा समर्थकों ने पूरे शहर विरोध-प्रदर्शन किया था। जमकर तोड़फोड़ की थी। सबसे बड़ी बात यह थी कि राजूपाल की हत्या में नामजद होने के बाद भी Atiq अतीक सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में बना रहा। इसको अतीक का रसूख ही कहा जा सकता है। साल 2005 में फिर से उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव ने मायावती ने राजूपाल की पत्नी पूजापाल को मैदान में उतारा, लेकिन इन सबके बावजूद सपा ने अशरफ को टिकट दिया। इस उपचुनाव में Asraf अशरफ pooja pal पूजा पाल को जनता का समर्थन नहीं मिला और अशरफ ने चुनाव जीत लिया।