kHABARWALA24nEWS NEW DELHI supreme COURT : माफिया Atiq Ahmad अतीक अहमद और उसके भाई Asraf अशरफ की पुलिस सुरक्षा में गोली मारकर हत्या किए जाने के एक दिन बाद रविवार को SUPRME COURT सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जिसमें इसकी जांच के लिए शीर्ष न्यायालय के एक रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस हिरासत में एेसे हत्याकांड या फर्जी मुठभेड़ के बहाने हत्या की वारदात कानून के शासन का उल्लंघन है। विकास दुबे से लेकर अतीक, अशरफ, असद मुठभेड़ इस श्रेणी में आता है। यह अराजकता लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है।
अधिवक्ता VISHAL TIWARI विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में अतीक और अशरफ की हत्याओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध किया गया है।
क्या है मामला
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा ले जाने के दौरान अहमद और उसके भाई अशरफ जब पत्रकारों के सवाल का जवाब दे रहे थे, तभी वहां पत्रकारों के भेष में आए तीन हमलावरों ने उन पर गोलियां चला दी. इस घटना के कुछ घंटे पहले अहमद के बेटे असद का अंतिम संस्कार किया गया था, जो १३ अप्रैल को झांसी में पुलिस मुठभेड़ में अपने एक साथी के साथ मारा गया था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार को कहा था कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के छह वर्षों में 183 कथित अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया है और इसमें असद और उसके साथी भी शामिल हैं।
मनमाने तरीके से न्याय करने से बचना चाहिए
बताया जाता है कि यह भी कहा गया है कि पुलिस प्रशासन की एकस्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग की ये प्रवृत्ति लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है। पुलिस को एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह मनमाने तरीके से न्याय करने से बचना चाहिए। अतीक की हत्या का जिक्र करते हुए, याचिका में कहा गया है कि “जदतगमा पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए एक गंभीर खतरा है। Petition याचिका में कहा गया है कि एक लोकतांत्रिक समाज में POLICE पुलिस को दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सजा की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है।