Khabarwala 24 News New Delhi : Before Marriage सनातन सभ्यता में ज्योतिष और धर्म का समाज के हर कामकाज पर गहरा असर है। इसे लोग मानते हैं, लेकिन कई बार यह रस्में, विधान क्यों किए जाते हैं, उन्हें यह नहीं मालूम होता। ऐसा ही एक विधान है शादी से पहले हाथ में लोहे का छल्ला पहनाए जाने का, आइये जानते हैं लोहे की अंगूठी का रहस्य…
कब पहनाया जाता है लोहे का छल्ला (Before Marriage)
काशी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार भारतीय परंपरा में विवाह महज कुछ मिनट का समझौता नहीं, बल्कि यह लंबा धार्मिक विधान और यज्ञ है, जिसके तहत कई दिन पहले से पूजा आदि शुरू हो जाती है। इस महान कार्य का शुभ फल मिले और देवताओं की कृपा से संबंधों का जुड़ाव जन्म जन्मांतर के लिए हो जाय, यज्ञ में कोई व्यवधान न हो इसी कामना के तहत ये रस्में बनाई गईं हैं।
नकारात्मक शक्तियां प्रभावित न करें (Before Marriage)
इसकी शुरुआत कुल देवी की पूजा और उन्हें कार्ड देने से शुरू हो जाती है। इसी कड़ी में लड़की की शादी वाले दिन मटिमगरा पूजा होती है, जिस दिन पूजा के बाद तेल चढ़ाने की रस्म होती है और लड़की को लोहे का छल्ला पहनाया जाता है। मान्यता है कि इस रस्म के बाद लड़की सर्वाधिक पवित्र हो जाती है, ऐसे में आसपास की नकारात्मक शक्तियां उसे प्रभावित न करें।
रक्षासूत्र के जरिये लड़की के हाथ में
पूजा के बाद शनि देव के आशीर्वाद स्वरूप लोहे का छल्ला रक्षासूत्र के जरिये लड़की के हाथ में बांधा जाता है और विवाह के बाद की रस्मों के बाद यह छल्ला एक घड़े में बांधकर साल भर तक रखा जाता है। लोहे में शनि देव का वास होता है, इसी कारण नकारात्मक शक्तियां, बाधाएं लड़की से दूर रहती हैं और विवाह में कोई बाधा नहीं आती। जबकि वर के लिए यह रस्म शादी से तीन दिन पहले पूरी की जाती है। यह रस्म रविवार मंगलवार को करना निषिद्ध है।
नजर दोष से बचाता लोहे का छल्ला
मान्यताओं के अनुसार शादी की तारीख जैसे-जैसे करीब आती है, वैसे-वैसे ईश्वर के आशीर्वाद से वर-वधू का निखार बढ़ता जाता है। इस बीच कोई बुरी शक्ति, आत्मा आकर्षित हो सकती है। इससे उन्हें बचाने के लिए लोहे का छल्ला पहनाया जाता है, यह लोहे का छल्ला वर-वधू को नजर दोष से भी बचाता है। साथ ही इसके प्रभाव के कारण शनि, राहु, केतु जैसे ग्रह शांत रहते हैं। इससे वधू के जीवन में सुख संपत्ति और समृद्धि भी आती है।