Monday, December 23, 2024

Bikaner Temple पानी नहीं 40 हजार किलो लगा इस मंदिर निर्माण में घी, गर्मियों में होता है घी का रिसाव

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Khabarwala 24 News New Delhi: Bikaner Temple भारत भूमि का विश्व अध्यात्म का केंद्र माना जाता है, यहां ईश्वरीय आस्था को मानने वाले लोंगो की कमी नहीं है। भारत में प्राचीन विरासतों को निहारने के लिए दुनिया लालायत रहती है। भारत में अनेक मंदिर और महल हैं जो युगों-युगों का दर्शन करवाते हैं।

सीमेंट में पानी का नहीं घी का हुआ उपयोग (Bikaner Temple)

ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के बीकानेर में स्थित है। माना जाता है कि मंदिर के निर्माण में पानी का इस्तेमाल नहीं हुआ है। सवाल उठता है आखिर पानी का इस्तेमाल नहीं हुआ तो कैसे मंदिर बनकर तैयार हो गया? आप सभी ने निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री सीमेंट, बालु, गिट्टी, ईट आदि के साथ पानी का मिश्रण देखा होगा या करवपाया होगा। लेकिन जब मैं कहूं कि एक मंदिर ऐसा भी है जहां सीमेंट में पानी का उपयोग नहीं हुआ, तो ये अजीब लग रहा होगा।

भक्तों का लगा रहता है ताता (Bikaner Temple)

दरअसल ये कहानी है बीकानेर के भंडाशाह जैन मंदिर की। माना जाता है कि इस मंदिर निर्माण में 40 हजार किलो शुद्ध देशी घी का उपयोग किया गया है। दरअसल ये मंदिर मशहूर हैं। यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर के नींव को पानी नहीं बल्कि घी से सींचा गया है।

सबसे खास बात ये है कि मंदिर का निर्माण चालीस हजार किलो घी से किया गया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसमें घी का इस्तेमाल क्यों किया गया? बताया जाता है कि मंदिर पांच शताब्दी पुराना है, इसका निर्माण 1468 में किया गया था। घी के व्यापारी भंडाशाह ने इसका निर्माण करवाया है। उनके नाम पर ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।

व्यापारी और ठेकेदार से जुड़ी अजीब कहानी (Bikaner Temple)

घी के थोक विक्रेता भंडाशाह ने मंदिर बनवाने की ठानी, उन्होंने मंदिर बनवाने का ठेका दे दिया। मंदिर का काम शुरु होने की तैयारी हो गईं। दुकान में सेठ और ठेकेदार बैठे थे, उसी दौरान एक मक्खी घी में गिर गई, उस मक्खी को सेठ ने उठाकर बाहर फेंक दिया। तबतक ठेकेदान ने व्यापारी की परीक्षा लेना का विचार बनाया।

नींव में ठेकेदार ने डाला घी (Bikaner Temple)

उसने कहा कि सेठजी अगर मंदिर में घी डलवाते तो बेहतर रहता। उसने कहने की देर कि सेठ जी ने 40 हजार किलो घी मंदिर के लिए अर्पित कर दिया। तब ठेकेदार कहने लगा कि सेठ जी मैं सिर्फ परीक्षा ले रहा था आपने तो सच में घी रख दिया। तब व्यापारी भंडाशाह ने कहा कि अब भगवान को अर्पित कर चुका हूं तो वापस नहीं होगा। अब मंदिर इसी से बनाओ। ठेकेदार ने नींव में घी डाला। उसके बाद सीमेंट के साथ पानी की जगह घी मिलाया गया। माना जाता है कि गर्मियों में घी आज भी पिघलता है।

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