Khabarwala 24 News New Delhi : Brain Dead Waked Up अमेरिका से एक हैरान करने का मामला आया है, साथ ही एक नई बहस भी खड़ी कर दी है। दरअसल ‘ब्रेन-डेड’ घोषित किए गए एंथनी थॉमस के अंगों को निकालने की तैयारी चल रही थी तभी ऑपरेशन थिएटर में अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिसने डॉक्टरों को हक्का-बक्का कर दिया। इस घटना ने ऑर्गन डोनेशन से जुड़े नियमों और चिकित्सा नैतिकता को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमेरिका के केंटकी के एक अस्पताल में ऐसा ही वाकया हुआ।
सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं (Brain Dead Waked Up)
एंथनी थॉमस जिन्हें कार्डिएक अरेस्ट के बाद अस्पताल लाया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन-डेड घोषित कर दिया था। लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाकर उनके अंगों को दान के लिए निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, लेकिन ऑपरेशन टेबल पर जैसे ही डॉक्टरों ने कदम बढ़ाया। तभी एक अजीब सी हरकत से सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं।
आंखों का खुलना संयोग या कुछ और (Brain Dead Waked Up)
एंथनी थॉमस की बहन, डॉना रॉरर ने ऑपरेशन थिएटर जाते वक्त देखा कि एंथनी थॉमस की आंखें धीरे-धीरे खुल रही हैं लेकिन अस्पताल के स्टाफ ने इसे वहम मानकर इग्नोर कर दिया। किसी को भी अंदेशा नहीं था कि कुछ ही पलों में जो होने वाला था, वह हर किसी के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।
ऑपरेशन टेबल पर जिंदा हुआ डोनर (Brain Dead Waked Up)
ऑर्गन प्रिजर्वेशन स्पेशलिस्ट नताशा मिलर ऑपरेशन थिएटर का वो सारा वाकया बयान करती हैं। ऑपरेशन टेबल पर जैसे ही अंग निकालने की तैयारी हो रही थी, अचानक टीजे के शरीर में तेज हलचलें दिखने लगीं और तो और वे साफ तौर पर रो रहे थे। यह नजारा देखकर ऑपरेशन थिएटर में मौजूद हर शख्स हैरान था।
गंभीर सवाल, जांच के घेरे में प्रोटोकॉल (Brain Dead Waked Up)
अब इस चौंकाने वाली घटना की जांच राज्य और संघीय अधिकारियों द्वारा की जा रही है। इस बीच, अस्पताल ने बयान जारी करते हुए कहा कि मरीज की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। वहीं, केंटकी ऑर्गन डोनर अफिलिएट्स (KODA) ने कहा है कि मामले को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
क्या अंगदान के मानकों में कोई चूक (Brain Dead Waked Up)
अमेरिका में ‘ब्रेन डेड’ घोषित करने की प्रक्रिया एक सख्त मेडिकल और कानूनी मानदंडों पर आधारित है। इस प्रोसेस का मकसद यह तय करना है कि शख्स के दिमाग की सभी एक्टिविटी पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं। एंथनी थॉमस के मामले ने अंगदान प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है ‘ब्रेन-डेड’ घोषित करने के मानक में कमी हैं। ऐसी घटनाएं जनता का विश्वास हिला सकती हैं।