Khabarwala 24 News New Delhi : Budget 2024 आगामी 1 फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करने जा रही हैं। बजट को लेकर आप बहुत कुछ सुनते जरूर हैं, लेकिन कभी ये सोचा है कि आखिर सरकार के पास पैसे कहां से आते हैं और कहां खर्च हो जाते हैं। जी हां, यह जानना आपके लिए काफी रोचक हो सकता है। इससे आप समझ पाएंगे कि देश का खर्च सबसे ज्यादा किस मद में होता है और किसमें सबसे कम। आखिर इसका क्या हिसाब-किताब होता होगा? पिछले साल 1 फरवरी 2023 को पेश किए गए बजट के अनुमान पर आधारित आंकड़ों के हिसाब से इसे महज 1 रुपये के उदाहरण से भी समझा जा सकता है।
रुपया कहां से आता है? (Budget 2024)
सरकार के रेवेन्यू जेनरेशन के सोर्स : सरकार टैक्स और नॉन-टैक्स दोनों सोर्स से रेवेन्यू जेनरेट करती है। टैक्स को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के तौर पर कैटेगराइज कर दिया गया है। उदाहरण के लिए इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स को डायरेक्ट टैक्स की कैटेगरी में रखा गया है। इसी तरह,जीएसटी, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क को इनडायरेक्ट टैक्स के रूप में शामिल किया गया है। अब अगर मान लीजिए सरकार को रेवेन्यू के तौर पर एक रुपया हासिल होता है तो इसमें कितना हिस्सा किस-किस सोर्स से आता है, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
पैसे का योगदान रहा (Budget 2024)
सरकार को बाजार से उधार का सहारा : वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले साल जारी पाई चार्ट के मुताबिक, इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स दोनों में 15 पैसे का योगदान था, जबकि जीएसटी में 17 पैसे की हिस्सेदारी थी। कुल मिलाकर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 7 पैसे रहा जबकि सीमा शुल्क 4 पैसे रहा। बता दें कि सरकार सिर्फ टैक्स के जरिये अपना खर्च चलाने के लिए जरूरी पूरी राशि जेनरेट करने में सक्षम नहीं है, लिहाजा सरकार को बाजार से उधार का सहारा लेना पड़ता है। कुल पाई चार्ट में उधार और दूसरी देनदारियां 34 पैसे शामिल थीं। गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां, जिसमें विनिवेश भी शामिल है, का 2 पैसे का योगदान रहा जबकि नॉन-टैक्स प्राप्तियां 6 पैसे रहीं।
रुपया कहां चला जाता है (Budget 2024)
सरकार की तरफ से खर्च का पाई चार्ट : इनकम के बाद अब नजर खर्च पर डाल लेते हैं। खर्च के मोर्चे पर, पिछली उधारी पर ब्याज भुगतान सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें 20 पैसे शामिल हैं। इसके बाद करों और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी 18 पैसे और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में 17 पैसे है। केंद्र-प्रायोजित स्कीम्स कुल सरकारी खर्च का 9 पैसे हैं जबकि रक्षा 8 पैसे है। सरकार अलग-अलग सब्सिडी पर करीब 7 पैसे खर्च करती है जबकि अन्य खर्च के तौर पर 8 पैसे खर्च करती है।