Khabarwala 24 News New Delhi Chandrayaan-3: अंतरिक्ष में इतिहास रचते हुए भारत ने चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग कर दी है। शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर LVM-3 बाहुबली रॉकेट की लॉन्चिंग हुई और करीब 16 मिनट के अंदर ही यह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग के दौरान पूरे देश की निगाहें श्रीहरिकोटा पर थीं और अब सबकी उम्मीदें लेकर चंद्रयान-3 अपने सफर पर निकल चुका है। चंद्रयान-३ का यह सफर लगभग 40 दिनों का होगा। इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी कोशिश रहेगी कि चांद की सतह पर मून लैंडर विक्रम की सफल सॉफ्ट लैंडिंग हो जाए। चंद्रयान-2 के दौरान सॉफ्ट लैंडिंग में ही दिक्कत आ गई थी। हालांकि उसका ऑर्बिट अब भी काम कर रहा है।
अगस्त के आखिरी सप्ताह में चंद्रयान की होगी लैंडिग
विक्रम लैंडर यदि सफलता के साथ चांद की सतह पर उतर जाता है तो भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश होगा, जो यह कारनामा कर पाएगा। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ही अंतरिक्ष में इस लेवल पर पहुंच पाए हैं। बताया गया कि अगस्त के आखिरी सप्ताह में किसी भी दिन चंद्रयान की लैंडिंग होगी। कह सकते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के बाद भारत को चंद्रयान-3 की सफलता के साथ एक बड़ा तोहफा मिलने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार लैंडर विक्रम को लेकर बहुत सावधानी बरती गई है ताकि सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से हो सके।
स्वतंत्रता दिवस का मिलेगा तोहफा
अनुमान है कि 23 अगस्त तक चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम उतर सकता है। लैंडिंग के बाद यह एक चंद्र दिवस तक ऑपरेट करेगा, जिसका अर्थ पृथ्वी के 14 दिन है। चंद्रयान-3 में तीन मुख्य चीजें शामिल हैं- लैंडर, रोवर और प्रोपल्सन मॉड्यूल। भारत का मूनक्राफ्ट विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। भारत ने चंद्रयान मिशन की शुरुआत 2008में की थी। इससे पहले 2019 में दूसरा प्रयास हुआ था। सब कुछ ठीक रहा था, लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले लैंडर से संपर्क टूट गया था। इस बार इसरो की ओर से कई अहम बदलाव किए गए हैं ताकि पूरी एक्यूरेसी रहे और किसी भी तरह की तकनीकी खामी से बचा जा सके।
अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट
इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने जिस ऑर्बिट में छोड़ा है वह 170*36500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) है। पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था। इस बार यह कक्षा इसलिए चुनी गई है ताकि चंद्रयान-3 को अधिकस्थिरता प्रदान की जा सके।
96 मिलिसेकेंड्स में सुधारेगा विक्रम लैंडर गलतियां
विक्रम लैंडर के इंजन पिछली बार से ज्यादा ताकतवर हैं। पिछली बार जो गलतियां हुईं थी, उसमें सबसे बड़ी वजहों में से एक था कैमरा, जो आखिरी चरण में एक्टिव हुआ था। इसलिए इस बार उसे भी सुधारा गया है। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स गलतियां कम से कम करेंगे। उन्हें तत्काल सुधारेंगे। इन गलतियों को सुधारने के लिए विक्रम के पास 96 मिलीसेकेंड का समय होगा। इसलिए इस बार विक्रम लैंडर में ज्यादा ट्रैकिंग, टेलिमेट्री और कमांड एंटीना लगाए गए हैं, यानी गलती की संभावना न के बराबर है।