खबरवाला 24 न्यूज हापुड़:
एक जनवरी 2023 से दिल्ली-एनसीआर में कोयला और लकड़ी ईंधन से संचालित कारखाने नहीं चल पाएंगे। जिन औद्योगिक क्षेत्र में पीएनजी गैस नहीं थी, वहां वायु गुणवत्ता आयोग की तरफ से 31 दिसंबर तक ईंधन बदलने के निर्देश दिए गए थे। शनिवार को यह समयावधि समाप्त हो जाएगी। जिले के किसी भी औद्योगिक क्षेत्र में अभी तक गैस पाइप लाइन बिछ नहीं पाई है। अन्य, ईंधन विकल्प का प्रयोग करने पर खर्च में अत्यधिक बढ़ोतरी हो जाएगी। ऐसे में उद्यमी चिंतित है।
जिले में चार औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें मसूरी-गुलावठी मार्ग स्थित यूपीसीडा का औद्योगिक क्षेत्र, हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के अधीन खेड़ा और टेक्सटाइल सेंटर औद्योगिक क्षेत्र है। जबकि, एक औद्योगिक क्षेत्र जिंदल नगर में है। जिसका कुछ हिस्सा जिला गाजियाबाद में आता है। चारों औद्योगिक क्षेत्र में से किसी भी क्षेत्र में अभी तक पीएनजी गैस की पाइप लाइन नहीं बिछ पाई है।
यूपीसीडा के औद्योगिक क्षेत्र में इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड की तरफ से पाइप लाइन बिछाने का कार्य चल रहा है। कार्य की गति को देखकर नहीं लगता है कि दो दिन में पाइप लाइन बिछ जाएगी। इसके चलते उद्यमी परेशान है। जिले के चारों औद्योगिक क्षेत्र में तीन हजार से अधिक कारखाने संचालित है। इन कारखानों में से अधिकांश में चादर रंगाई, स्टील की वस्तु तैयार करने, स्क्रैप गलाने का कार्य होता है। जिनमें कोयला और लकड़ी के ईंधन का प्रयोग होता है। जिससे वातावरण दूषित होता है।
यह थे आयोग के निर्देश
वायु गुणवत्ता आयोग ने दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए आदेश दिया था जिन कारखानों में लकड़ी और कोयला का ईंधन के रूप में प्रयोग होता है। वह बंद कराए जाएंगे। यह कार्रवाई 30 सितंबर तक होनी थी लेकिन, कई औद्योगिक क्षेत्र में पीएनजी गैस पाइप लाइन नहीं होने के कारण आयोग ने अवधि बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी थी।
क्या कहते हैं उद्यमी
सरकार पहले आदेश दे देती है, फिर उसके बाद सुविधाओं का निर्माण करती है। कोयले और लकड़ी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध का आदेश भी कुछ इसी प्रकार से है। वैकल्पिक सुविधाएं तो उपलब्ध नहीं कराई गई, लेकिन बंदी के आदेश जरूर दे दिए गए हैं। एेसे में उद्योगों का संचालन करना बेहद मुश्किल हो रहा है।- एनएन मिश्रा, अध्यक्ष ,एमजीआर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
क्या कहते हैं अफसर
आयोग के आदेशानुसार 31 दिसंबर तक का उद्यमियों को समय दिया गया था। केवल पीएनजी गैस से ही काेयला और लकड़ी का वैकल्पिक नहीं है। बिजली सहित दस वैकल्पिक दिए गए है। उद्यमियों ने इस ओर जागरूकता दिखाने का प्रयास नहीं किया गया है। एक जनवरी के बाद छापामार कार्रवाई की जाएगी। आदेशों का पालन कराया जाएगा। — उत्सव शर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड