Khabarwala 24 News New Delhi : Coconut In Hinduism नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवताओं का वास होता है। माना जाता है कि नारियल के पानी का घर में छिड़काव करने से सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। हिंदू धर्म में नारियल को काफी महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। सभी प्रकार के पूजा पाठ या मांगलिक कार्यों में नारियल का प्रयोग जरूर होता है। कोई शुभ कार्य, नया मकान, दुकान या नया वाहन लेने पर भी नारियल को फोड़ने की परंपरा है। मान्यता के अनुसार, नारियल पर बने हुए तीन गोल निशानों को लोग भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से संबंधित मानते हैं।
बलि प्रथा रोकने के लिए इस्तेमाल (Coconut In Hinduism)
नारियल या श्रीफल को लेकर यह भी मान्यता है कि एक बार भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ पृथ्वी पर आए थे तब मां लक्ष्मी अपने साथ कामधेनु गाय और नारियल के वृक्ष को भी पृथ्वी पर लाई थी। एक और मान्यता के अनुसार, पृथ्वी पर पहले समय में मनुष्यों और जानवरों की बलि देने की प्रथा थी। इसी प्रथा को रोकने के लिए नारियल का इस्तेमाल किया जाने लगा, क्योंकि नारियल का स्वरूप मानव के जैसा माना जाता है। नारियल मनुष्य की खोपड़ी जैसा होता है और जटाएं मनुष्य के बाल जैसी होती है। जानवरों या मनुष्य की बलि देने के स्थान पर नारियल का प्रयोग किया जाने लगा।
नारियल से जुड़ी पौराणिक कथा (Coconut In Hinduism)
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में एक सत्यव्रत नाम का एक राजा राज किया करता था। राजा सत्यव्रत के राज्य में महर्षि विश्वामित्र रहते थे। एक बार महर्षि विश्वामित्र तपस्या करने के लिए घर से काफी दूर निकल गए। जब बहुत समय तक वे वापस न आए तो उनका परिवार जंगल में भूखा-प्यासा भटकने लगा। महर्षि विश्वामित्र के परिवार पर राजा सत्यव्रत की नजर पड़ी तो वे उनके परिवार को अपने साथ अपने दरबार में ले आए और उनकी खूब सेवा की। जब विश्वामित्र वापस आए तो उनके परिवार के सदस्यों ने उनको राजा के द्वारा की गई सेवा के बारे में बताया।
इंद्र ने राजा सत्यव्रत को धकेला (Coconut In Hinduism)
तब महर्षि विश्वामित्र राजा के दरबार में पहुंचे और राजा को धन्यवाद दिया, तब राजा ने धन्यवाद के स्थान पर उनसे एक वरदान देने का निवेदन किया। महर्षि विश्वामित्र ने राजा को आज्ञा दे दी तब राजा ने ऋषि से कहा कि वे जीवित रहते हुए स्वर्ग जाना चाहते हैं। इस पर ऋषि विश्वामित्र ने अपने तपोबल के माध्यम से एक ऐसा मार्ग तैयार किया, जो सीधे स्वर्ग की ओर जाता था। जब राजा सत्यव्रत उस मार्ग से स्वर्गलोक पहुंचे तो स्वर्ग लोक के राजा इंद्र ने उनको नीचे धकेल दिया। धरती पर गिरते ही राजा ने यह पूरी घटना ऋषि विश्वामित्र को बताई।
एक और स्वर्गलोक का निर्माण (Coconut In Hinduism)
इतना सुनते ही महर्षि विश्वामित्र को क्रोध आ गया तब महर्षि विश्वामित्र के क्रोध से बचने के लिए देवता उनसे बात करने आए और इस समस्या का हल निकाला गया। हल के तौर पर यह निर्णय लिया गया है कि धरती और स्वर्ग लोक के मध्य एक और स्वर्गलोक का निर्माण किया जाएगा। जब वह स्वर्ग लोक बना तो उसको धरती से एक खंभे से जोड़ा गया। माना जाता है कि बाद में वह खंभा नारियल के पेड़ का तना और राजा का सिर नारियल बन गया। इसी कारण ही नारियल का स्वरूप मनुष्य की खोपड़ी की तरह ही होता है।