Khabarwala 24 News New Delhi : Narasimha Avatar भगवान विष्णु का हर अवतार बेहद खास रहा है। हिंदू धर्म में आपने भगवान विष्णु और प्रह्लाद की कहानी तो सुनी ही होगी कि भगवान विष्णु ने नरसिम्हा अवतार लेकर अपने प्रिय भक्त प्रह्लाद की जान बचाई थी। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि उनके प्रत्येक अवतार के पीछे कोई न कोई महान कारण रहा है। जब-जब अधर्म ने धर्म पर विजय प्राप्त की है, तब-तब भगवान विष्णु ने विभिन्न रूपों में पृथ्वी पर अवतार लेकर अधर्म का विनाश किया है। आज हम आपको भगवान नरसिम्हा के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां भगवान नरसिम्हा की मूर्ति के दर्शन साल में केवल एक बार ही होते हैं।
सिंहाचलम मंदिर के नाम से जाना जाता है (Narasimha Avatar)
भगवान नरसिम्हा के मंदिर की बात करें तो पूरे भारत में भगवान नरसिम्हा के कई मंदिर हैं, लेकिन विशाखापत्तनम में सिंहाचल पर्वत पर भगवान नरसिम्हा का एक मंदिर स्थित है। जिसे देशभर में सिंहाचलम मंदिर के नाम से जाना जाता है। सिंहाचलम मंदिर को भगवान नरसिम्हा का घर भी कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर में भगवान नरसिम्हा माता लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं।
भगवान नरसिम्हा के दर्शन केवल एक बार (Narasimha Avatar)
सिंहाचलम मंदिर में भगवान नरसिम्हा के दर्शन साल में केवल एक बार होते हैं, क्योंकि उनकी मूर्ति पर पूरे साल चंदन का लेप लगा रहता है और यह चंदन लेप साल में केवल एक बार ही हटाया जाता है। भगवान नरसिम्हा की प्रतिमा पर लगा यह लेप अक्षय तृतीया के दिन हटाया जाता है। यानी जिस दिन लेप हटाया जाता है. उसी दिन भक्तों को भगवान नरसिम्हा की मूर्ति के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना भक्त प्रह्लाद ने की थी।
भक्त प्रह्लाद ने कराया मंदिर का निर्माण (Narasimha Avatar)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया था, तब भक्त प्रह्लाद ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। ऐसा कहा जाता है कि समय के साथ, जब मंदिर पृथ्वी के गर्भ में धँस गया, तो राजा पुरुरवा ने स्वयं भगवान नरसिम्हा की मूर्ति, जो पृथ्वी में धँस गई थी, को बाहर निकाला, उसे फिर से स्थापित किया और उसे चंदन के लेप से ढक दिया। पुरुरवा नाम के राजा ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
मूर्ति को चंदन के लेप से क्यों ढका गया है (Narasimha Avatar)
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकशिपु के वध के समय भगवान नरसिंह बहुत क्रोधित थे। अत: उनके क्रोध को शांत करने के लिए चंदन का लेप लगाया गया। जिससे उनका गुस्सा कम हो गया. तभी से भगवान नरसिम्हा की मूर्ति पर चंदन का लेप लगाने की परंपरा है और यह चंदन का लेप साल में एक बार अक्षय तृतीया के दिन हटाया जाता है। जिसके बाद लोगों को साल में केवल एक बार ही भगवान नरसिम्हा की असली प्रतिमा के दर्शन होते हैं।