Khabarwala 24 News New Delhi : Panchamrit and Charnamrit हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान भगवान को प्रसाद चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। इसी तरह पंचामृत और चरणामृत भी है। हालांकि, अधिकतर लोग इन दोनों को एक समझने की भूल करते हैं। न तो ये एक हैं और ना ही इन दोनों को बनाने का तरीका एक है। जानते हैं पंचामृत और चरणामृत में क्या है अंतर। इसे कैसे तैयार किया जाता है।
क्या है चरणामृत (Panchamrit and Charnamrit)
चरणामृत बेहद ही शुभ और पवित्र होता है। जब हम भगवान विष्णु अथवा उनके शालिग्राम स्वरूप को जिस जल से स्नान करवाते हैं, वह चरणामृत कहा जाता है। शास्त्रों में चरणामृत लेने के कुछ नियम और मंत्र भी बताए गए हैं। जब भी आप चरणामृत लें तो उसे अपने दाएं हाथ से लें।
उस दौरान आपका मन पूरी तरह से शांत होना चाहिए। भूलकर भी दाएं हाथ को चरणामृत ग्रहण करने के बाद सिर पर नहीं फेरें। चरणामृत को तांबे के लोटे, गिलास में ही रखना चाहिए। इसमें आपको तिल, तुलसी की पत्तियां अवश्य डालनी चाहिए। यदि प्रतिदिन पूजा करते हैं तो चरणामृत मंदिर में रख सकते हैं।
चरणामृत का मंत्र (Panchamrit and Charnamrit)
जब भी आप चरणामृत ग्रहण करें तो ‘अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम। विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।’ इसका अर्थ है कि चरणामृत ग्रहण करने से अकाल मृत्यु आपसे दूर रहती है। रोगों का नाश होता है। यह एक औषधि की तरह है, जो पाप, रोग दूर करता है।
पंचामृत क्या है (Panchamrit and Charnamrit)
पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से तैयार किया जाता है, लेकिन जब तक इसमें तुलसी के पत्तों को ना डालें, तब तक ये अमृत स्वरूप नहीं माना जाता है। पंचामृत से भी नारायण अर्थात् भगवान शालिग्राम का स्नान अभिषेक किया जाता है। आमतौर पर लोग पूजा-पाठ के दौरान पंचामृत बनाकर उसे प्रसाद की तरह अर्पित करते हैं। पंचामृत यानी पांच शुद्ध और पवित्र चीजों से मिलकर बनने वाला एक शुद्ध पेय होता है। जब तक आप ईश्वर का अभिषेक पंचामृत से नहीं करते हैं तब तक पूजा अधूरी कहलाती है।