Khabarwala24New Hapur : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)के पदाधिकारियों और सदस्यों ने सोमवार को हाथ में काली पट्टी बांधकर काला दिवस मनाया। राजस्थान सरकार द्वारा चिकित्सकों के विरोध के बावजूद जनविरोधी राइट-टू -हेल्थ बिल को पारित किए जाने तथा आंदोलित चिकित्सकों पर किए गए लाठीचार्ज का जिला मुख्यलय पर विरोध दर्ज किया। आईएमए के अध्यक्ष डाक्टर नरेंद्र मोहन और सचिव डाक्टर विमलेश शर्मा के नेतृत्व में चिकित्सकों ने राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार को संबोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपा। चिकित्सकों ने इस घटना का काली पट्टी बांधकर विरोध किया। चेतावनी दी कि अगर जरूरत पड़ी तो
राष्ट्रव्यापारी हड़ताल भी की जाएगी। आईएमए ने अन्य चिकित्सीय संगठनों से भी साथ देने की अपील की है।
(IMA)की चेतावनी बिल वापस नहीं लिया तो हर स्तर पर होगा विरोध
आईएमए (IMA) के शाखा अध्यक्ष डाक्टर नरेंद्र मोहन सिंह ने बताया कि यह बिल आम जनों को संविधान के द्वारा धारा 21 के अंतर्गत सरकार द्वारा डाक्टर्स को राईट -टू -लीव अधिकार से वंचित कराने का प्रयास है। सरकार स्वास्थ्य में अपने दायित्व को प्राईवेट सेक्टर पर बिना किसी खर्च फेंक कर उन्हें बर्बाद करने पर उतारू है । किसी न किसी रूप में केन्द्र एवं सभी राज्य सरकारें एक जैसा कदम उठा रही है। जबकि आईएमए सरकार के सभी कार्यक्रम तन, मन,धन से सहयोग करती रही है। अत: जब तक इस जनविरोधी वाले काले कानून राईट-टू हेल्थ बिल को वापस नहीं लेती है तब तक आईएमए उत्तर प्रदेश के साथ आईएमए हापुड़ इसका हर स्तर पर विरोध करना जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा लागू किया जा रहा है। राईट-टू -हेल्थ बिना सोचे समझे थौपा जा रहा है। यह हर वर्ग के खिलाफ है। आम जन का स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और यह जबरन प्राइवेट डाक्टरों पर थोपना चाह रही है।
बिल में व्यवहारिक संशोधन किया जाना चाहिए :डाक्टर पीसी शर्मा
डाक्टर पीसी शर्मा ने कहा कि इस बिल से संबंधित कमेटियों में डाक्टरों के शामिल नहीं किया जाना तथा आम राय न बनाना बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। उन्होंने कहा कि बिल में बिना सुनवाई के सजा का प्रावधान है। इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं है। कोई भी डाक्टर किसी भी विशेषज्ञता का हो किसी का भी उपचार करेगा। यह किसी तरह से व्यवहारिक नहीं है। बिल में व्यवहारिक संशोधन किया जाना चाहिए था। चिकित्सकों की कोई राय नहीं ली गई। यह पूरी तरह से चुनावी बिल है। आईआईए का मानना है कि मुफ्त का कोई भी सिस्टम स्थायी नहीं है। इस प्रकार का सिस्टम एक समय के बाद होना होता है और बंद होने के बाद आंदोलन होते हैं। जिसका नुकसान देश भर को झेलना पड़ता है।
राजस्थान के चिकित्सकों को दिया जाएगा पूर्ण सहयोग
भारतीय चिकित्सा संघ के सभी चार लाख सदस्य इस काले कानून के विरोध में एवं उन पर किए गए अत्याचार व दमन के विरोध में अपने राजस्थान के साथियों के साथ हाथ से हाथ मिलाकर खड़े हैं और आज पूरे देश के साथ सांकेतिक काला दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनका यह शांतिपूर्ण आंदोलन राजस्थान सरकार नहीं सुनेगी तो यह आगे पूरे देश में और फैलेगी और वह आगे की कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे।
यह रहे मौजूद
आइएमए के राष्ट्रीय सहचिव डाक्टर आनंद प्रकाश, पूर्व जिलाध्यक्ष डाक्टर जेपी अग्रवाल, आईएमए की सचिव डाक्टर विमलेश शर्मा, डाक्टर वीपी अग्रवाल, डाक्टर दिनेश गर्ग, डाक्टर गोविंंद सिंह, डाक्टर श्याम कुमार, डाक्टर विक्रांत बंसल, डाक्टर दुष्यंत बंसल, डाक्टर नीता शर्मा, डाक्टर दीपशिखा गोयल, डाक्टर नरेंद्र केन, डाक्टर पराग शर्मा, डाक्टर अनुराग बंसल, डाक्टर शिवकुमार समेत अनेक चिकित्सक मौजूद थे।