Khabarwala 24 News New Delhi: doctors white apron सफेद लंबा कोट आप जब भी किसी को पहने देखते हैं तो आप समझ जाते हैं कि वो कोई डॉक्टर द्वारा ही पहना गया होगा, लेकिन अक्सर आपके मन में ये सवाल भी उठता होगा कि आखिर डॉक्टर्स ये कोट पहनते क्यों है और इसके पीछे की वजह क्या है. तो चलिए आज जान लेते हैं।
सफेद कोट कैसे डॉक्टरों की बन गया पहचान ?(doctors white apron)
आपको जानकर हैरानी होगी कि 19 वीं सदी के मध्य से पहले सिर्फ प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक ही लैब कोट पहना करते थे। जो हल्के गुलाबी या पीले रंग के हुआ करते थे। उस समय वैज्ञानिकों ने औषधियों द्वारा किए गए उपचार को बेकार दिखाकर चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई थी। उस समय जनता और शासकों द्वारा भी वैज्ञानिकों की तारीफ की जाती थी और डॉक्टरों या वैद्यों पर अधिक विश्वास नहीं किया जाता था। यही वजह थी कि चिकित्सा का पेशा विज्ञान की ओर मुड़ गया। इस प्रकार डॉक्टरों या चिकित्सकों ने वैैज्ञानिक बनने का फैसला किया।
डॉक्टरों ने जब अपना लिए साइंटिस्टों के कोट (doctors white apron)
उस समय ये सोचा गया कि प्रयोगशालाओं में किए गए अविष्कार बीमारियों को ठीक करने में कारगर सिद्ध हो रहे हैं, इसलिए डॉक्टर्स भी खुद को वैज्ञानिकों के रूप में प्रस्तुत करने के बारे में सोचने लगे। यही वजह रही कि उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोगशाला कोट को अपने कपड़ों के मानक के रूप में अपनाया लिया और डॉक्टरों ने 1889ईस्वी में एक पहचानने योग्य प्रतीक के रूप में कोट पहनना शुरू कर दिया।
ऐसे में जब उन्होंने वैज्ञानिकों के कोट को अपनाया तो उन्हें सफेद रंग पसंद आया. जिसकेे चलते धीरे-धीरे सभी चिकित्सक सफेद कोट में ही नजर आने लगे। ये कोट डॉ. जॉर्ज आर्मस्ट्रांग द्वारा भी पेश किया गया था?
सफेद रंग शुद्धता को दर्शाता है (doctors white apron)
सफेद रंग शुद्धता को दर्शाता है, साथ ही ये रंग अच्छाई का प्रतिनिधित्व भी करता है। इस कोट को पहने देख मरीज का भी डॉक्टर के प्रति भरोसा बढ़ जाता है। यही वजह है कि चिकित्सक सफेद कोट को पूरी तरह अपना चुके हैं।