Khabarwala 24 News New Delhi : Dwarka Dham हिंदुओं के 4 धामों में से एक द्वारिका को श्री कृष्ण का निवास स्थल माना जाता है। महाभारतकाल में मथुरा अंधक संघ की राजधानी थी और द्वारिका वृष्णियों की। ये दोनों ही यदुवंश की शाखाएं थीं। कहते हैं कि मथुरा से द्वारिका जाने के लिए सरस्वती नदी में जहाज का उपयोग करते थे। द्वारकाधीश मंदिर आम जनता के लिए सुबह 7 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। यह दोपहर 12:30 से शाम 5 बजे तक बंद रहता है। आइए जानते हैं श्री कृष्ण की द्वारका से जुड़ीं 5 रोचक बातें…
1. किसने बनाई थी श्रीकृष्ण की द्वारिका (Dwarka Dham)
सप्तपुरियों में से एक द्वारिका है। भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय नगरी द्वारिका का निर्माण विश्वकर्मा और मयदानव ने मिलकर किया था। कहा जाता है कि विश्वकर्मा देवताओं के तो मयदानव असुरों के शिल्पी थे। ययाति के प्रमुख 5 पुत्र थे- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुहु। उसमें से यदु को उनके पिता ने दक्षिण में दक्षिण में रहने के लिए स्थान दिया था जो आज का सिन्ध-गुजरात प्रांत है। यही पर समुद्र तट पर श्रीकृष्ण ने द्वारिका का निर्माण कराया था। इसे पूर्व में कुश स्थली कहते थे।
Dwarka Dham पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराज रैवतक ने प्रथम बार समुद्र में से कुछ भूमि बाहर निकालकर यहां एक नगरी बसाई थी। यहां उनके द्वारा कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण इसे कुशस्थली कहा गया। अन्य मान्यताओं के कारण इसे राम के पुत्र कुश के वंशजों ने बसाया था। जो भी हो, यहां पर महाराजा रैवतक ने अपनी एक नगरी बसाई थी। सतयुग के राजा आनतनंदन सम्राट रैवत के पुत्र महाराज कुकुदनी की पुत्री रेवती का विवाह बलरामजी के साथ हुआ था।
2. क्यों कहते थे द्वारिकाधीश की नगरी (Dwarka Dham)
Dwarka Dham यह भी कहा जाता है कि यहीं पर त्रिविक्रम भगवान ने ‘कुश’ नामक दानव का वध किया था इसीलिए इसे कुशस्थली कहा जाता है। श्रीकृष्ण ने मथुरा से अपने 18 कुल के हजारों लोगों के साथ पलायन किया तो वे कुशस्थली आ गए थे और यहीं उन्होंने नई नगरी बसाई और जिसका नाम उन्होंने द्वारका रखा। इसमें सैकड़ों द्वार थे इसीलिए इसे द्वारका या द्वारिका कहा गया। यह अभेद्य दुर्ग था। जिस पर जरासंध और शिशुपाल ने कई बार आक्रमण किया।
3. पुराणों के अनुसार नष्ट हुई द्वारिका (Dwarka Dham)
Dwarka Dhamपुराणों के अनुसार द्वारिका का विनाश समुद्र में डुबने से हुआ था लेकिन माना जाता है कि डूबने से पहले इस नगर को शत्रुओं ने नष्ट कर दिया था। कृष्ण के प्रपौत्र वज्र अथवा वज्रनाभ द्वारिका के यदुवंश के अंतिम शासक थे, जो यदुओं की आपसी लड़ाई में जीवित बच गए थे। द्वारिका के समुद्र में डूबने पर अर्जुन द्वारिका गए और वज्र तथा शेष बची यादव महिलाओं को हस्तिनापुर ले गए। हस्तिनापुर में मथुरा का राजा घोषित किया। वज्रनाभ के नाम से ही मथुरा क्षेत्र को ब्रजमंडल कहा जाता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार जब हिमयुग समाप्त हुआ तो समद्र का जलस्तर बढ़ा और उसमें देश-दुनिया के कई तटवर्ती शहर डूब गए। द्वारिका भी उन शहरों में से एक थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि हिमयुग तो आज से 10 हजार वर्ष पूर्व समाप्त हुआ। भगवान कृष्ण ने तो नई द्वारिका का निर्माण आज से लगभग 5 हजार 300 वर्ष पूर्व किया था, तब ऐसे में इसके हिमयुग के दौरान समुद्र में डूब जाने की थ्योरी आधी सच लगती है।
Dwarka Dham हिस्ट्री चैनल की एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज ‘एंशियंट एलियन’ में इस तरह का दावा किया गया कि द्वारिका को एलियंस ने ही बनाया था और उन्होंने ही इसे नष्ट कर दिया था। हालांकि ‘एंशियंट एलियन’ सीरीज के अनुसार यह भी संभावना जताई जाती है कि हो सकता है कि कृष्ण का सामना एलियन से हुआ और फिर दोनों में घोर युद्ध हुआ जिसके चलते द्वारका नष्ट हो गई।
4. समुद्री में कब खोजी गई द्वारिका (Dwarka Dham)
खोज में समुद्र के भीतर से बड़ी मात्रा में द्वारिका के अवशेष भी पाए गए हैं इससे इस बात की पुष्टि होती है कि द्वारिका एक खूबसूरत नगरी थी। इस शहर के चारों ओर बहुत ही लंबी दीवार थी जिसमें कई द्वार थे। वह दीवार आज भी समुद्र के तल में स्थित है। द्वारिका के इन समुद्री अवशेषों को सबसे पहले भारतीय वायुसेना के पायलटों ने समुद्र के ऊपर से उड़ान भरते हुए नोटिस किया था और उसके बाद 1970 के जामनगर के गजेटियर में इनका उल्लेख किया गया।
उसके बाद से इन खंडों के बारे में दावों-प्रतिदावों का दौर चलता चल पड़ा। बाद में ऑर्कियोलॉजिस्ट प्रो. एसआर राव और उनकी टीम ने 1979-80 में समुद्र में 560 मीटर लंबी द्वारिका की दीवार की खोज की। साथ में उन्हें वहां पर उस समय के बर्तन भी मिले, जो 1528 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के हैं। पहले 2005 फिर 2007 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निर्देशन में भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने समुद्र में समाई द्वारिका नगरी के अवशेषों के नमूनों को सफलतापूर्वक निकाला।
उन्होंने ऐसे नमूने एकत्रित किए जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है। 2005 में नौसेना के सहयोग से प्राचीन द्वारिका नगरी से जुड़े अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छंटे पत्थर मिले और लगभग 200 नमूने एकत्र किए गए। मिली जानकारी के मुताबिक ये नमूने सिन्धु घाटी सभ्यता से कोई मेल नहीं खाते, लेकिन ये इतने प्राचीन थे कि सभी दंग रह गए।
5. द्वारिकाधाम की यात्रा के बारे में (Dwarka Dham)
यदि आप द्वारका की यात्रा पर जा रहे हैं तो हम आपको बता दें कि द्वारिका 2 हैं- गोमती द्वारिका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है। बेट द्वारिका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है। चार धामों में से एक द्वारिका धाम का मंदिर लगभग 2 हजार से भी अधिक वर्ष पुराना है। द्वारिकाधीश मंदिर से लगभग 2 किमी दूर एकांत में रुक्मिणी का मंदिर है। र्तमान में जिस स्थान पर उनका निजी महल ‘हरि गृह’ था वहां आज प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है और बाकी नगर समुद्र में है।