Khabarwala 24 News New Delhi: Earthquake भूकंप आने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। तीन घंटे के अंदर दो देशों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। पहले आधी रात को नेपाल में भूकंप आया, जिसके झटके बिहार और उसके कई इलाकों में महसूस किए गए। अब उसके कुछ ही घंटो के बाद भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भूकंप आ गया। जिससे लोगों में दहशत है।
नेपाल के बाद हिली पाकिस्तान की धरती (Earthquake)
कुछ ही घंटो के अंतराल में दो जगह भूकंप आ गया। पहले 28 फरवरी को ही आधी रात को करीब 2.30 बजे नेपाल में भूकंप आया। इसके झटके बिहार और उसके कई इलाकों में भी महसूस किए गए। इसके बाद पाकिस्तान में सुबह-सुबह आए भूकंप से लोगों की आंख खुली। वहीं अभी भी लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
भूकंप का कहां रहा केंद्र (Earthquake)
National Center for Seismology के अनुसार, पड़ोसी राज्य पाकिस्तान में 28 फरवरी 2025 की सुबह 5 बजकर 12 मिनट 52 सेकेंड पर भूकंप आया। इसका केंद्र धरती से 10 किलोंमीटर नीचे पाकिस्तान में था। 4.5 तीव्रता के इस भूकंप से धरती हिलने लगी।
भूंकप के झटकों से खुली लोगो की नींद (Earthquake)
सुबह-सुबह भूकंप के झटकों से लोगों की नींद खुल गई। वहीं कुछ लोगों को तो इसका एहसास भी नहीं हुआ। लेकिन जिन लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए उनमें दहशत देखने को मिली। सभी अपने घरों से बाहर निकल आए और सभी के चेहरों पर डर साफ नजर आ रहा था।
तिब्बत में भी भूकंप (Earthquake)
पहले नेपाल में फिर बिहार और उसके कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके बाद पाकिस्तान में और अब तिब्बत में भी भूकंप आ गया है। तिब्बत में आए भूकंप की तीव्रता 4.1 बताई जा रही है। वहां के लोगों में भी डर का माहौल देखा गया। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि बार-बार भूकंप के झटके लोगों को डरा रहे हैं। कहीं ये किसी बड़ी आपदा का संकट तो नहीं है।
नेपाल में भूकंप (Earthquake)
सबसे पहले नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए। आधी रात को करीब 2.30 बजे आए भूकंप से धरती हिल गई जिसका असर बिहार और उसके कई इलाकों पर भी दिखा। 5.5 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र नेपाल में ही 10 किलोमीटर धरती के नीचे रहा।
भूकंप क्यों और कैसे आता है? (Earthquake)
वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा। पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं। कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है। जब इससे डिस्टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है।
रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है। भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है। यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है। 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है। 9 यानी सबसे ज्यादा। बेहद भयावह और तबाही वाली लहर। ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं। अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है।