Sunday, December 22, 2024

Establishment of Bishnoi Religion बिश्नोई पंथ की 1485 में हुई स्थापना, बनाए गए 29 नियम, 9 नियमों को फिल्म अभिनेता सलमान खान ने तोड़ा, जानें पूरी कहानी

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Khabarwala 24 News New Delhi : Establishment of Bishnoi Religion राजस्थान की स्थानीय भाषा में लिखी यह कहावत एक प्रण है ‘उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय। जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय॥’ इसका हिंदी में अर्थ है, ‘जो लोग जंभेश्वर के 29 नियमों का ह्रदय से पालन करते हैं वे लोग ही बिश्नोई हुए हैं।‘ इस प्रण में 29 नियमों का जिक्र है और इन्हें अपने भगवान से निभाने का वायदा करते हैं ‘बिश्नोई’ समाज के लोग… इन्हीं 29 नियमों में से 9 नियम ऐसे हैं जिन्हें फिल्म अभिनेता सलमान खान ने तोड़ा।

ये वो नियम हैं जिन्हें बचाने के लिए बिश्नोई समाज के लोग अपनी जान तक दे देते हैं, जैसे 1730 में सगी बहनों करमा और गौरा, 1947 में चिमनाराम और प्रतापराम, 1963 में भीयाराम ने दी। आखिर कौन होते हैं बिश्नोई? इनके नियमों का सलमान से क्या ताल्लुक? चलिए जानने चलते हैं 14वीं-15वीं शताब्दी की ओर…

राजपूत घराने में जन्में जंभेश्वर उर्फ धनराज (Establishment of Bishnoi Religion)

28 अगस्त 1451… यह वो तारीख है जब मध्य राजस्थान की रियासत नागौर के छोटे से गांव पीपासर में क्षत्रिय लोहटजी पंवार के घर एक बेटे का जन्म हुआ। जिस दौर में बालक का जन्म हुआ उसे भक्तिकाल कहा जाता है। राजपूत घराने में जन्में इस बच्चे का नाम धनराज रखा गया ।

लेकिन शुरूआती 7 वर्षों तक यह कुछ बोल नहीं पाए तो घर-परिवार के लोग इन्हें ‘गूंगा गला’ कहने लगे। ठीक सात साल बाद उन्होंने बोलना शुरू किया। इसके बाद शुरू हुआ इनका अध्यात्मिक जीवन, फिर इन्हें मिला एक नाम और उपाधि और कहलाए गए गुरु जंभेश्वर। सात साल की उम्र में उन्हें गायों को चराने का काम मिला। जब वह 16 साल के हुए तो उनकी मुलाकात गुरु गोरखनाथ से हुई। उन्होंने उनसे ज्ञान प्राप्त किया।

माता-पिता के निधन के बाद पहुंचे बीकानेर (Establishment of Bishnoi Religion)

गुरु जंभेश्वर अपने घर के इकलौते चिराग थे। जब तक माता-पिता जीवित रहे इन्होंने उनकी खूब सेवा की। Bishnoi.co.in के मुताबिक, उनके निधन के बाद गुरु जंभेश्वर अपनी सारी संपत्ति को त्याग कर भगवान की भक्ति में बीकानेर की ओर चले गए।

यहां के एक गांव मुकाम में उन्होंने अपना डेरा डाला और लोगों की सेवा में जुट गए। उस वक्त राजस्थान के कई इलाकों में अकाल पड़ा हुआ था। लोग अपने आशियानों को छोड़कर पलायन कर रहे थे। पूरा मारवाड़ अकाल की चपेट में था। लोग पलायन कर मालवा (मध्य प्रदेश) की ओर जा रहे थे। तब गुरु जंभेश्वर ने उनको रोका और अनाज, पैसों से उनकी मदद की। इस दौरान वह धर्म के नाम पर फैले पाखंड से लोगों को बचने का उपदेश देते। उन्होंने धार्मिक पाखंडों और कर्मकांडों का जमकर विरोध किया।

साल 1485 में की ‘बिश्नोई पंथ’ की स्थापना (Establishment of Bishnoi Religion)

गुरु जंभेश्वर के विचारों से लोग प्रभावित होकर उनसे जुड़ने लगे। साल 1485 में उन्होंने 34 साल की उम्र में गांव मुकाम के एक बड़े रेत के टीले पर हवन किया। इस स्थान को समराथल धोरा कहा जाता है। इसी विशाल हवन के दौरान कलश की स्थापना कर एक पंथ की शुरुआत की गई जिसे नाम दिया गया ‘बिश्नोई’।

सबसे पहले इस पंथ में शामिल होने वाले शख्स गुरु जंभेश्वर के चाचा पुल्होजी थे। गुरु जंभेश्वर ने बिश्नोई पंथ में शामिल होने वाले लोगों के लिए 29 नियम बनाए। इसका कनेक्शन भी बिश्नोई शब्द से है। मारवाड़ की भाषा में ‘बिस’ का अर्थ ’20’ और नोई का ‘9’ कहा जाता है। दोनों को जोड़ने पर योग 29 होता है। गुरु जंभेश्वर ने 29 नियमों की आचार संहिता बनाई। इनमें 10 नियम खुद की सुरक्षा और स्वास्थ्य, 9 नियम जानवरों की रक्षा। 7 नियम समाज की रक्षा और 4 नियम आध्यात्मिक उत्थान के लिए बनाए गए।

फैलकर फिर सिकुड़ा ‘बिश्नोई समाज’ (Establishment of Bishnoi Religion)

इस पंथ में लोग बड़ी संख्या में शामिल होने लगे। आज भी इस पंथ के लोग 29 नियमों का पालन करते हैं। वर्तमान में बिश्नोई पंथ के लोग मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में फैले हुए हैं। भारत के अलावा यह अफगानिस्तान के काबुल और कंधार, पाकिस्तान के मुल्तान और सिंध तक रहे।

बाद में प्रचार न होने से बहुत से अनुयायियों ने बिश्नोई पंथ छोड़ दिया। Bishnoi.co.in के मुताबिक, भारत में बिश्नोई समाज के लोगों की संख्या करीब 13 लाख है। इनमें सबसे ज्यादा 9 लाख राजस्थान में है। हरियाणा में यह 2 लाख के करीब हैं।

हिरणों से करते हैं जान से ज्यादा प्यार (Establishment of Bishnoi Religion)

बिश्नोई समाज जीव और मानव सेवा को समर्पित है और गुरु जंभेश्वर को अपना आराध्य मानता है जहां बिश्नोई समाज के लोग रहते हैं वहां काले हिरण पाए जाते हैं। गुरु जंभेश्वर के 29 सिद्धांतों को मानते हुए ये उनको अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं। यहां तक कि समाज की महिलाएं हिरणों के बच्चों को स्तनपान तक कराती हैं।

ब्रिटिशकाल में काले हिरणों का शिकार करने वाले अंग्रेजी अधिकारी का विरोध हरियाणा के शीशवाल गांव के बिश्नोई समाज के एक किसान तरोजी राहड़ ने किया। वह भूख हड़ताल पर बैठे और फिर इस शिकार पर रोक लगाई गई। यहां तक कि समाज के कई लोगों ने अपना बलिदान तक दे डाला।

आरोप- सलमान खान ने तोड़े 9 नियम (Establishment of Bishnoi Religion)

सलमान खान से बिश्नोई समाज का विवाद 1998 से शुरू हुआ। जब उनकी टीम हम साथ-साथ हैं की शूटिंग के लिए राजस्थान के जोधपुर में पहुंची। शूटिंग लोकेशन से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर भवाद गांव के पास उनपर काले हिरण के शिकार का आरोप लगा। मामले की जांच होने पर मौके पर काला हिरण मिला।

2 अक्टूबर को बिश्नोई समाज ने सलमान खान पर FIR दर्ज कराई। इस केस में सलमान खान को जेल जाना पड़ा। बिश्नोई समाज सलमान खान को उनके 29 नियमों में से 9 नियमों को तोड़ने का आज भी आरोपी मानता है। ये वो नियम हैं जिनमें जीवों पर दया के प्रावधान हैं। उनका कहना है कि सलमान खान गुरु जंभेश्वर के धाम पर आकर माफी मांगे तो समाज उन्हें माफ कर देगा।

बिश्नोई समाज के लिए बने 29 नियम (Establishment of Bishnoi Religion)

तीस दिन सूतक रखना

पांच दिन ऋतुवन्ती स्त्री का गृहकार्य से पृथक रहना

प्रतिदिन सवेरे स्नान करना

शील का पालन करना व संतोष रखना

बाह्य और आन्तरिक पवित्रता रखना

द्विकाल संध्या-उपासना करना

संध्या समय आरती और हरिगुण गाना

निष्ठा और प्रेमपूर्वक हवन करना

पानी,ईंधन और दूध को छान कर प्रयोग में लेना

वाणी विचार कर बोलना

क्षमा-दया धारण करना

चोरी नहीं करनी

निन्दा नहीं करनी

झूठनझू हीं बोलना

वाद-विवाद का त्याग करना

अमावस्या का व्रत रखना

विष्णु का भजन करना

जीव दया पालणी

हरा वृक्ष नहीं काटना

काम, क्रोध आदि अजरों को वश में करना

रसोई अपने हाथ से बनानी

थाट अमर रखना

बैल बधिया नहीं कराना

अमल नहीं खाना

तम्बाकू का सेवन नहीं करना

भांग नहीं पीना

मद्यपान नहीं करना

मांस नहीं खाना

नीला वस्त्र व नील का त्याग करना

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