Khabarwala 24 News Hapur: firefighters memorial day 14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर हुए भीषण अग्निकांड में शहीद हुए अग्निशमन कर्मियों की याद में रविवार को “अग्निशमन सेवा सप्ताह” का आयोजन किया गया। पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने अग्निकांड से होने वाली जन-धन की हानि की रोकथाम के लिए जनपदवासियों को जागरूक करने के लिए रिजर्व पुलिस लाइन से जागरूकता वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर “अग्निशमन सेवा सप्ताह” का शुभारम्भ किया गया।
अग्निशमन कर्मियों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता(firefighters memorial day)
पुलिस अधिकारियों और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि शहीद हुए अग्निशमन कर्मियों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। शहीद अग्निशमन कर्मियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार अग्रवाल, सीएफओ मनु शर्मा समेत अनेक अधिकारी मौजूद थे।
अग्निशमन सेवा स्मृति दिवस क्यों मनाया जाता है (firefighters memorial day)
14 अप्रैल 1944 को फोर्ट स्टेकेन नाम के एक माल वाहक जहाज में मुंबई के बंदरगाह (डाकयार्ड) पर आग लग गई थी। जहाज, ऊन, विस्फोटकों और गोला-बारूद की गांठों से लदा हुआ था। जब उसमें आग लग गई तो अग्निशमन कर्मी आग बुझाने का प्रयास करने लगे। इसी बीच, जहाज में विस्फोट होने के कारण आग लगने से 66 दमकल कर्मियों की मौत हो गई। यह दिन देश भर में इन शहीदों को श्रद्धांजलि देने और आग से बचाव के उपायों के लिए जन जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। प्रतिवर्ष 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक अग्निशमन सेवा सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
क्या कहते हैं सीएफओ (firefighters memorial day)
सीएफओ मनु शर्मा ने बताया कि आज अग्निशमन सेवा सप्ताह की शुरूआत हुई है। दमकल विभाग ने जवान आज ही के दिन मुंबई में शहीद हुए थे। 14 अप्रैल से एक सप्ताह के लिए अग्निशमन सप्ताह चलाया जाता है। गांव गांव और शहर शहर जाकर लोगों को अग्निशमन विभाग की टीम लोगों को आग से बचाव की जानकारी देते हुए उन्होंने जागरूक करता है।
आग से बचाव के सुझाव (firefighters memorial day)
– रसोईघर की छत टीन से ही बनाएं
– बोरिंग व पंपसेट को दुरुस्त हालत में रखें
– गांव के रास्तों को अतिक्रमण मुक्त रखें
– तेज हवा में कचरा व फूस न जलाएं
– बिस्तर पर लेटकर धूम्रपान न करें
– बीड़ी, सिगरेट को बुझाकर ही फेंके
– गांव में खाना सुबह ही बना लें
– खाना बनाने के बाद आग को बुझा दें
– माचिस की डिब्बी को बच्चों की पहुंच से दूर रखें