Khabarwala 24 News New Delhi : first Holi maternal home बहुत ही जल्द होली का त्योहार आने वाला है। सनातन धर्म में होली का त्योहार बहुत ही विशेष माना जाता है। 25 मार्च को रंगों से जुड़ा होली का त्योहार धूमधाम के साथ देश सहित पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। वही शादी के बाद हर त्योहार खास होता है, लेकिन पहली होली का महत्व ही कुछ अलग होता है। यह एकमात्र त्योहार है जो नई नवेली बहू अपने मायके में मनाती है। पहली होली मायके में मनाने की परंपरा के पीछे कई मान्यताएं और सामाजिक महत्व हैं। यह त्योहार न केवल नई बहू के लिए, बल्कि उसके दामाद और ससुराल वालों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। यह परंपरा भारत के कई हिस्सों में प्रचलित है। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसका सामाजिक महत्व समझते हैं। समय के साथ, इस परंपरा में कुछ बदलाव भी आए हैं।
मान्यताएं (First Holi Maternal Home)
सास-बहू के रिश्ते में मधुरता : मान्यता है कि अगर नई बहू पहली होली ससुराल में मनाती है तो घर में क्लेश उत्पन्न हो सकता है। कहा जाता है कि अगर नई बहू होलिका दहन अपनी सास के साथ देख ले तो उनके बीच के संबंधों पर भी आंच आ सकती है।
खुशहाल वैवाहिक जीवन : पहली होली मायके में मनाने से ससुराल वालों के साथ मधुर संबंध बनते हैं और वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली आती है।
स्वस्थ संतान : यह भी माना जाता है कि पहली होली मायके में मनाने से होने वाली संतान का स्वास्थ्य अच्छा होता है। गर्भवती महिला को भी होली का त्योहार अपने मायके में ही मनाना चाहिए।
सामाजिक महत्व (First Holi Maternal Home)
दामाद-ससुराल के संबंध : होली ही ऐसा त्योहार है जिसमें सभी लोग सारे भेदभाव भूलकर एक साथ रंग खेलते हैं। दामाद अपनी पहली होली पत्नी के साथ ससुराल में मनाता है तो उसके अपने ससुराव पक्ष के साथ संबंध और बेहतर हो सकते हैं।
सहजता और प्रगाढ़ता : यह त्योहार दामाद और ससुराल वालों के बीच सहजता और प्रगाढ़ता लाने में भी सहायक साबित होता है।