Khabarwala 24 News New Delhi : First Women Pilot महिलाओं को आज़ादी और अपनों का साथ मिल जाए तो वह आसमान की ऊंचाईयों को नाप सकती हैं। देश की महिलाओं को आसमान में उड़ने के लिए यह पंख दिए थे भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल ने। 1936 में 21 साल की उम्र में उन्होंने साड़ी पहनकर उड़ान भरी और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला पायलट बन गईं। क्या आपको पता है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा महिला पायलट किस देश में हैं? यह देश है भारत। हम किसी भी अन्य देश की तुलना में महिला पायलटों के अनुपात में सबसे ऊपर हैं। यहाँ के आसमान में महिलाएं राज करती हैं। भारतीय विमानन कंपनियों में करीब 12.4% महिला पायलट हैं, जो विश्व औसत 5.4% से काफी अधिक है।
भारतीय परंपरा का रखा था मान (First Women Pilot)
सरला ठकराल का जन्म 8 अगस्त, 1914 को दिल्ली में हुआ था। महज़ 16 साल की उम्र में उनकी शादी पायलट पीडी शर्मा के साथ हो गई थी। सरला को लोग प्यार से मति कहते थे। शादी के कुछ समय बाद, पीडी शर्मा ने देखा कि उनकी पत्नी मति को उड़ान भरने और विमानों के बारे में जानने की बड़ी जिज्ञासा है। तब उन्होंने मति की इस रुचि को पंख देने का फैसला किया। अपने पति का साथ और प्रोत्साहन पाकर, सरला ने जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग ली।
इस तरह बनीं पहली महिला पायलट (First Women Pilot)
ट्रेनिंग के दौरान, पहली बार, उन्होंने साल 1936 में लाहौर में, जिप्सी मॉथ नाम का दो सीटर विमान उड़ाया था। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भारतीय परंपरा का मान रखते हुए, साड़ी पहनकर पहली सोलो फ्लाइट में अपनी उड़ान भरी थी। फ्लाइंग टेस्ट पास करने के बाद सरला अंदर से पायलट बनने के लिए तैयार हो चुकी थीं। सरला को अपना पहला ‘A’ लाइसेंस हासिल करने के लिए करीब 1000 घंटे तक प्लेन उड़ाने का अनुभव करना था।
मेरा समर्थन किया और हौसला बढ़ाया (First Women Pilot)
वह उस समय महज 21 साल की ही थीं, जब उन्होंने ये कारनामा करके दिखाया और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला बनीं। उस उड़ान के बाद सरला ने कहा था, जब मैंने पहली बार प्लेन उड़ाया, तब ना केवल मेरे पति, बल्कि मेरे ससुर भी खुश और उत्साहित थे। उन्होंने फ्लाइंग क्लब में दाखिला दिलाया। मुझे पता था कि मैं पुरुषों के इस कार्य में, महिला होने के बावजूद डटी हुई हूं। लेकिन मैं उन पुरुषों की प्रशंसा करती हूं, जिन्होंने समर्थन किया और हौसला बढ़ाया।
पति के साथ हादसे ने बदल दी ज़िंदगी (First Women Pilot)
साल 1939 में जब दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध की तैयारी चल रही थी, तब यह दौर सरला ठकराल के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। इस साल हुई दो घटनाओं के कारण, सरला की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। उसी साल सरला के पति पीडी शर्मा का एक विमान क्रैश में निधन हो गया। सरला की मुसीबतें यहीं ख़त्म नहीं हुईं। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने की वजह से उनको अपनी ट्रेनिंग बीच में ही छोड़नी पड़ी।
हिम्मत से शुरू की जीवन की दूसरी पारी (First Women Pilot)
सरला उस दौरान एक कमर्शियल पायलट बनने की तैयारी कर रही थीं। लेकिन इन विपरित परिस्थितियों में भी सरला ठकराल ने हार नहीं मानी। उन्होंने लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स) से फाइन आर्ट्स और चित्रकला की पढ़ाई पूरी की। फाइन आर्ट्स और चित्रकला का अध्ययन करने के बाद वह दिल्ली आ गईं। दिल्ली आकर उन्होंने पेंटिंग और डिजाइनिंग से अपने नए करियर की शुरुआत की।
सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है (First Women Pilot)
साल 1947 में आज़ादी के बाद, जब सरला दिल्ली आईं, तब उन्होंने खुद को एक उद्यमी के तौर पर खड़ा किया। साल 1948 में उन्होंने आरपी ठकराल से शादी कर ली। दूसरी शादी से भी सरला को एक बेटी हुई। 15 मार्च 2008 को 91 साल की उम्र में सरला ठकराल का निधन हो गया। सरला ठकराल की उपलब्धियां भारतीय महिलाओं को प्रेरणा देने वाली हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि अपने सपनों को हकीकत में कैसे बदला जा सकता है।