Khabarwala 24 News New Delhi : Hindu Festival Gangaur महिलाओं की समृद्धि और पति की लंबी आयु की कामना से किया जाने वाला गणगौर का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणगौर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित एक हिन्दू पर्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती और माता पार्वती ने संपूर्ण स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। इस व्रत में कथा का बहुत महत्व है।
मिष्ठान और पकवान लेकर पहुंची | Hindu Festival Gangaur
गणगौर की व्रत कथा : शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव, माता पार्वती और नारद मुनि भ्रमण पर निकले। सभी एक गांव में पहुंचें। जब इस बात की जानकारी गांववालों को लगी तो गांव की संपन्न और समृद्ध महिलाएं तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाने की तैयारी में जुट गईं, ताकि प्रभु अच्छा भोजन ग्रहण कर सकें। वहीं गरीब परिवारों की महिलाएं उनके पास जो भी साधन थे उनको अर्पित करने के लिए पहुंच गई। उनकी भक्ति भाव से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उनपर सुहाग रस छिड़क दिया। फिर थोड़ी देर में संपन्न परिवार की महिलाएं तरह-तरह के मिष्ठान और पकवान लेकर वहां पहुंची लेकिन माता के पास देने के लिए कुछ नहीं बचा।
सारा आशीर्वाद गरीब महिलाओं को | Hindu Festival Gangaur
इस पर भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि अब आपके पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा क्योंकि आपने सारा आशीर्वाद गरीब महिलाओं को दे दिया। ऐसे में अब आप क्या करेंगी। तब माता पार्वती ने अपनी अंगुली चीर कर छींटों से उन महिलाओं को अपना आशीर्वाद दिया। इसी दिन चैत्र मास की शुक्ल तृतीया का दिन था इसके बाद सभी महिलाएं घरों को लौट गई। इसके बाद माता पार्वती ने नदी के तट पर स्नान कर बालू से महादेव की मूर्ति बनाकर उनका पूजन किया। फिर बालू के पकवान बनाकर ही भगवान शिव को भोग लगाया और बालू के दो कणों को प्रसाद रूप में ग्रहण कर भगवान शिव के पास वापस लौट आईं।
शिव को याद कर लाज रखने की कही | Hindu Festival Gangaur
यह सभी बातें भगवान शिव जानते थे फिर भी माता पार्वती को छेड़ने के लिए स्नान करने में बहुत देर लगा दी। तब माता ने कहा कि मायके वाले मिल गये थे जिसके कारण इतनी देर हो गई। फिर भगवान शिव ने माता पार्वती से पूछा कि आपके पास तो कुछ था भी नहीं स्नान के बाद प्रसाद में क्या लिया? इसके जवाब में माता ने कहा कि भाई और भावज ने दूध-भात बना रखा था उसी को ग्रहण कर सीधे आपके पास आई हूं। फिर भगवान शिव ने भाई भावज के यहां चलने को कही ताकि उनके यहां बने दूध-भात का स्वाद चख सकें। तब माता ने अपने को संकट में फंसे देख मन ही मन भगवान शिव को याद कर अपनी लाज रखने की कही।
सन्नाटे के अलावा कुछ भी नहीं दिखा | Hindu Festival Gangaur
इसके बाद नारद मुनि को साथ लेते हुए तीनों लोग नदी तट की तरफ चल दिये। वहां पहुंच कर देखा कि एक महल बना हुआ है। जहां पर खूब आवभगत हुई। इसके बाद जब वहां से तीनों लोग चलने लगे तो कुछ दूर चलकर भगवान शिव माता से बोले कि मैं अपनी माला आपके मायके में भूल आया हूं। माता पार्वती के कहने पर नारद जी वहां से माला लेने के लिए उस जगह दोबारा गए तो वहां पहुंचकर हैरान रह गए क्योंकि उस जगह चारों तरफ सन्नाटे के अलावा कुछ भी नहीं था। तभी एक पेड़ पर उन्हें भगवान शिव की रूद्राक्ष की माला दिखाई दी उसे लेकर वे लौट आए और भगवान शिव को सारी बातें बताईं।
पति से छिपाते हुए उपवास करती हैं | Hindu Festival Gangaur
तब भगवान शिव ने कहा कि यह सारी माया देवी पार्वती की थी। वे अपने पूजन को गुप्त रखना चाहती थी इसलिए उन्होंने झूठ बोला और अपने सत के बल पर यह माया रच दी। तब नारदजी ने देवी माता से कहा कि मां आप सौभाग्यवती और आदिशक्ति हैं। ऐसे में गुप्त रूप से की गई पूजा ही अधिक शक्तिशाली और सार्थक होती है। तभी से जो स्त्रियां इसी तरह गुप्त रूप से पूजनकर मंगल कामना करेंगी महादेव की कृपा से उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी। इसी कथा के चलते तभी से गणगौर उपवास को महिलाएं अपने पति से छिपाते हुए करती हैं।