Khabarwala24News New Delhi: Gupt Navratri 2023 हिंदू पंचांग के अनुसार साल में दो बार गुप्त नवरात्र आते हैं, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष में और आषाढ़ मास क शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में माता नौ रुपों की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है और मनचाहे फल की प्राप्ति भी होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है। इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से शुरू होंगे और समापन 28 जून को होगा।
गुप्त नवरात्र का अत्यधिक महत्व
आषाढ़ मास में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र में पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना 9 दिनों तक माता के अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में सच्चे मन से मां की पूजा अर्चना करने से सिद्धि प्राप्त करने और इच्छापूर्ति करने के लिए इस नवरात्र का अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्र में माता की आराधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
19 जून से होगी नवरात्रि की शुरुआत
19 जून से आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। 19 जून दिन सोमवार को मां शैलपुत्री की पूजा, 20 जून दिन मंगलवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा,21 जून दिन बुधवार को मां कूष्माण्डा की पूजा, 22 जून दिन वृहस्पतिवार को मां चंद्रघण्टा की पूजा, 23 जून दिन शुक्रवार को मां स्कंदमाता की पूजा,24 जून दिन शनिवार को मां कात्यायनी की पूजा, 25 जून दिन रविवार को मां कालरात्रि की पूजा, 26 जून दिन सोमवार को मां महागौरी की पूजा, 27 जून दिन को मां सिद्धिदात्री की पूजा और 28 जून दिन मंगलवार को नवरात्रि पारण किया जाएगा। आषाढ़ मास में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र में मां के नौ रुपों की पूजा करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बनाए रखतीं हैं और भक्तों को मन चाहे फल की प्राप्ति होती है.
गुप्त नवरात्रि की पूजा इस तरह करें
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ कलश स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के साथ सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। साथ ही माता को लोंग व बताशे का भोग चढाएं। इसके साथ कलश स्थापना करते समय मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें।