Khabarwala 24 News Hapur: Guru Purnima गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर ब्रजघाट गंगा घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। रात 12 बजे के बाद से ही स्नान प्रारंभ हो गया था। स्नान के बाद गंगा पार से आए कांवड़िये जल भरकर अपने गंतव्यों को रवाना हुए। जबकि परिवार के साथ आए श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान और दान आदि कर पुण्य लाभ कमाया। घाट पर भंडारों और यज्ञ का आयोजन किया गया। करीब दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
सूर्यदेव को अर्घ्य देकर की पूजा अर्चना (Guru Purnima)
रविवार को गुरूपूर्णिमा के पावन अवसर पर ब्रजघाट गंगा में स्नान के लिए शनिवार रात बारह बजे के बाद से ही आसपास के लोग व पड़ोसी जनपदों के श्रद्धालु ब्रजघाट गंगा पर पहुंचने शुरू हो गए। रविवार भोर के चार बजे तक ब्रजघाट गंगा तट श्रद्घालुओं से खचखच भर गया। श्रद्घालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सूर्योदय के साथ ही सूर्यदेव को अर्घ्य दिया गया और उपासना की गई।
सुरक्षा के रहे कड़े प्रबंध (Guru Purnima)
ब्रजघाट पर श्रद्धालुुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन के पुख्ता इंतजाम किए थे। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सादा कपड़ों में पुलिस कर्मी तैनात रहे। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बरसात से गंगा का जल स्तर बढ़ा होने पर पानी की गहराई अधिक के स्थान पर खतरे का निशान लगाते हुए बैरीकेडिंग की गई। इससे आगे श्रद्धालुओं को स्नान के लिए नहीं जाने दिया। इस दौरान गंगा तट पर मेले का आयोजन भी किया गया।

बहुत खास होता है गुरु पूर्णिमा का दिन (Guru Purnima)
गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत खास होता है। पंचांग के अनुसार यह तिथि आषाढ़ पूर्णिमा होती है। मान्यता है कि इस दिन हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म भी हुआ था। वेद व्यास ने चारों वेदों का ज्ञान भी दिया और पुराणों की रचना ती। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
कबीर के दोहे खूब प्रचलित हुए (Guru Purnima)
शास्त्रों में गुरु शब्द का अर्थ बताया गया है। गुरु दो अक्षकों से मिलकर बना है गु का अर्थ अंधकार से है और रु का आर्थ उसे हटाने वाले से, यानि अंधाकर के अज्ञामता से हटाकर जो ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए वहीं सच्चा गुरु है। संत कबीर दास ने भी अपने दोहे में गुरु की महिला का बखान करते हुए गुरुओं पर आधारित कबीर दास के ये दोबे खूब प्रचलित है। अपने दोहे में कबी गुरू को ईश्वर और माता पिता से श्रेष्ठ बताते हैं। गुरु पूर्णिमा प जानते हैं गुरुओं पर आधारित कबीर दास के प्रसिद दोहे।
सब धरती कागज करूं, लिखनी सब बनराय
सात समुद्र की मासि करूं, गुरु गुण लिख न जाए।