Khabarwala 24 News New Delhi : Hanuman Ji Flying Speed भले ही आज वैज्ञानिकों द्वारा शोध करके पृथ्वी से सूर्य की दूरी और ग्रहों की गति आदि के बारे में पता लगाया जा चुका है, लेकिन क्या आपको पता है कि हनुमान चालीसा में वैज्ञानिकों के पता लगाने से पहले ही पृथ्वी से सूर्य की दूरी के बारे में जानकारी दी जा चुकी है। वर्तमान में विज्ञान की मदद से कई रहस्यों पर से पर्दा उठाया जा चुका है। लेकिन श्री रामचरितमानस में विज्ञान से पहले ही कई रहस्यों के बारे में जानकारी दी जा चुकी है। ऐसा माना जाता है कि पवन पुत्र हनुमान हवा में भी उड़ सकते थे। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनमें वानर गुण विद्यमान थे। यही नहीं बजरंगबली लंबी-लंबी छलांगें भी लगा सकते थे, लेकिन जो महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आता है वो ये कि जब महाबली हनुमान हवा में छलांग लगाते थे तब उनकी गति कितनी होती थी? दरअसल, हनुमान जी के उड़ने की गति का अंदाजा लगाया गया है।
लक्ष्मण मूर्छा के बाद लंका से लाए सुषेण वैद्य | Hanuman Ji Flying Speed
इसका पता इस बात से चलता है कि लक्ष्मण जी और मेघनाद के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें मेघनाद द्वारा लक्ष्मण जी को बाण लगने के कारण वो मूर्छित हो गए थे। जिसके बाद विभीषण के कहने पर हनुमान जी लंका से सुषेण वैद्य को लेकर आए। इसके बाद सुषेण वैद्य ने लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए सूर्योदय से पहले, हिमालय के पास द्रोणागिरी पर्वत से चार तरह के औषधियों को लाने के लिए कहा।
औषधि लाने के लिए केवल 2 घंटे का ही समय | Hanuman Ji Flying Speed
हनुमान जी इन औषधियों को लेने के लिए निकल गए और ढाई हजार किलोमीटर दूर स्थित हिमालय के द्रोणगिरि पर्वत से औषधि लेकर आए। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि हनुमान जी ने करीब आधे घंटे औषधि ढूंढने में लगा दिया होगा। जिसके बाद लगभग आधे घंटे का समय कालनेमि नामक राक्षस ने हनुमान जी को भ्रमित करने में लगाया होगा। इन सब का मतलब है कि महाबली हनुमान को द्रोणगिरि पर्वत से औषधि लाने के लिए केवल 2 घंटे का ही समय मिला था।
मात्र दो घंटों में पांच हजार किलोमीटर की यात्रा | Hanuman Ji Flying Speed
मात्र इन्हीं दो घंटों में हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत हिमालय पर जाकर वापस पांच हजार किलोमीटर की यात्रा करके वापस आये थे। इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि हनुमान जी के हवा में उड़ने की गति ढाई हजार किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी। जबकि वहीं आज के समय में भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान मिराज 24 सौ किमी प्रति घंटा की गति से उड़ता है। हनुमान जी कई रुकावटों को पार करते हुए सूर्योदय होने से पहले औषधि लेकर वापस आ गए थे।
हनुमान चालीसा के दोहे में दी गई है जानकारी | Hanuman Ji Flying Speed
बता दें कि हनुमान चालीसा में हनुमान जी के उड़ने की गति की जानकारी दी गई है। हनुमान चालीसा में दिए गए दोहे की इस पंक्ति ‘जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू’ में हनुमान जा के उड़ने की गति के बारे में बताया गया है। इस दोहे का अर्थ है कि हनुमान जी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी कि सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था। इस प्रकार से देखा जाए तो…
एक युग = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक योजन = 8 मील
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
एक मील = 1.6 किमी
14.96 करोड़ किलोमीटर
हनुमान जी उड़ने की प्रति सेकंड गति | Hanuman Ji Flying Speed
बता दें कि वैज्ञानिकों ने बहुत पहले ही इस बात का पता लगाया है कि किसी भी चीज को पृथ्वी से किसी दूसरे ग्रह (केवल चंद्रमा को छोड़कर) तक जाने के लिए, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण (gravitational force) से मुक्त होना होता है और इसके लिए पलायन वेग (escape velocity) का होना आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर गति नहीं होगी तो वह चीज पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में बनी रहेगी और पृथ्वी के ही चक्कर लगाती रहेगी।
पृथ्वी से सूर्य तक की यात्रा भी की थी | Hanuman Ji Flying Speed
ऐसे में अंतरिक्ष विज्ञान के मुताबिक, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए किसी भी चीज को करीब 11 किलोमीटर मीटर प्रति सेकेंड की गति से उड़ना जरूरी है। वहीं हनुमान चालीसा के इस दोहे में दी गई जानकारी के अनुसार, हनुमान जी ने पृथ्वी से सूर्य तक की यात्रा की थी। ऐसे में माना जा सकता है कि उनके उड़ने या छलांग लगाने की तेज गति 11 किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक रही होगी।