Khabarwala 24 News Hapur: Hapur रक्षाबंधन से लेकर जन्माष्टमी तक शहर में जमकर पतंगबाजी होती है। दो दिन पूर्व ही रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया गया। नीला आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से सराबोर हो गया था। इस दौरान पतंग उड़ाने के लिए लोगों ने खूब चाईनिज मांझे का प्रयोग किया। इस मांझे की चपेट में आकर जहां लोग भी घायल हुए। वहीं बेजुबान पक्षी भी इस मांझे के प्रकोप से बच नहीं पाए। दो दिन के भीतर शहर में संचालित हो रहे पक्षियों के अस्पताल में कुल 13 पक्षी ऐसे पहुंचे, जो चाईनिज मांझे की चपेट में आकर घायल हुए।
बेजुबान पक्षियों का काल बन रहा है चाईनिज मांझा, पक्षियों के अस्पताल में दो दिन में पहुंचे 13 घायल पक्षी #hapur pic.twitter.com/S3bofvPPOQ
— khabarwala24 (@khabarwala24) August 21, 2024
चाईनिज मांझा बेहद खतरनाक तरीके से होता है तैयार (Hapur)
जानलेवा मांझा बेहद खतरनाक तरीके से तैयार किया जाता है। इसमें कांच के टुकड़ों के साथ-साथ लोहे का बुरादा भी इस्तेमाल में लाया जाता है। साथ ही यह नाइलोन या प्लास्टिक से तैयार किया जाता है। जिसके कारण यह आसानी से टूट नहीं पाता। पतंग काटने के चक्कर में लोग इसका बड़ी संख्या में इस्तेमाल करते हैं। वहीं जानलेवा मांझे पर प्रतिबंध होने के बाद भी दुकानदार इसकी जामकर बिक्री करते हैं। प्रशासनिक अधिकारी इस पर रोक लगाने में पूर्ण रूप से असफल साबित हो रहे हैं।
जैन समाज द्वारा संचालित अस्पताल में चल रहा उपचार (Hapur)
दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन ने बताया कि कमेटी द्वारा कसेरठ बाजार में एक मात्र नि:शुल्क पक्षियों के अस्पताल का संचालन वर्ष 2009 में संचालित किया गया था। अकेले रक्षाबंधन पर ही दस जानलेवा मांझे की चपेट में आने से घायल हुए पक्षी पहुंचे हैं। मंगलवार को तीन और पक्षी इस प्रकार के पहुंचे हैं। सभी का उपचार शुरू करा दिया गया है। जब से जानलेवा मांझा चलन में आया है, तब से पतंगबाजी के दौरान अधिक पक्षी घायल हो रहे हैं। इन पक्षियों को स्वस्थ होने में करीब छह से आठ माह तक का समय लग सकता है। शायद इसके बाद ही यह बेजुबान आसमान की सैर कर सकेंगे। अस्पताल में सभी प्रकार के पक्षियों का उपचार किया जा रहा है।