Khabarwala 24 News Hapur: Hapur (साहिल अंसारी) जिला आपदा प्रबंधन विभाग हापुड़ ने गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लू (Heatwave) से बचाव के उपाय, इसके लक्षण और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस एडवाइजरी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व), प्रभारी और नोडल अधिकारी आपदा संदीप कुमार ने जनता से अपील की है कि वे लू से बचाव के लिए बताए गए उपायों को गंभीरता से अपनाएं और अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा करें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि संबंधित विभागों को लू से निपटने के लिए पूरी तैयारी रखने और आवश्यक एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है।
लू से बचाव के लिए विभागीय तैयारी और जागरूकता
संदीप कुमार ने बताया कि लू एक गंभीर प्राकृतिक आपदा हो सकती है, जिसके प्रभाव को कम करने के लिए सभी संबंधित विभागों को अपनी तैयारियों को मजबूत करना होगा। इसके लिए सुरक्षात्मक उपायों को अपनाना और लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। गर्मी के मौसम में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, और आने वाले दिनों में यह और बढ़ने की संभावना है। इसलिए, विभागों को आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले से ही योजना बनानी चाहिए ताकि जनता को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
जिला आपदा विशेषज्ञ के सुझाव
जिला आपदा विशेषज्ञ गजेंद्र सिंह बघेल ने लू से बचाव के लिए कई व्यावहारिक और प्रभावी तरीके सुझाए हैं। उन्होंने कहा कि गर्म हवाओं से बचने के लिए घर की खिड़कियों को रिफ्लेक्टर सामग्री जैसे एल्यूमिनियम पन्नी या गत्ते से ढकना चाहिए। इससे बाहर की गर्मी को घर के अंदर आने से रोका जा सकता है। खास तौर पर दोपहर के समय, जब गर्म हवाएं तेज होती हैं, उन खिड़कियों और दरवाजों पर काले परदे लगाने की सलाह दी गई है, जहां से गर्मी का प्रवेश अधिक होता है।
स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान पर नजर रखें
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि लोग स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान पर नजर रखें। इसके लिए रेडियो, टेलीविजन या अन्य संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है ताकि तापमान में होने वाले बदलावों के प्रति सजग रहा जा सके। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लेना भी उपयोगी हो सकता है। गजेंद्र सिंह ने विशेष रूप से बच्चों और पालतू जानवरों की सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन्हें कभी भी बंद वाहन में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि गर्मी के कारण वाहन के अंदर का तापमान तेजी से बढ़ सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।
घर में रहने और सूर्य के ताप से बचने की सलाह
गजेंद्र सिंह ने लोगों से अपील की कि जहां तक संभव हो, वे घर के अंदर ही रहें और सूर्य की तेज गर्मी से बचें। घर की निचली मंजिल पर रहना बेहतर है, क्योंकि ऊपरी मंजिलों पर गर्मी का प्रभाव अधिक होता है। इसके अलावा, भोजन को लेकर भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि संतुलित, हल्का और नियमित भोजन करना चाहिए। मादक पेय पदार्थों जैसे शराब या नशीले पदार्थों से पूरी तरह परहेज करना जरूरी है, क्योंकि ये शरीर को निर्जलित कर सकते हैं और लू का खतरा बढ़ा सकते हैं। घर से बाहर निकलते समय शरीर और सिर को कपड़े, टोपी या छाते से ढककर रखना चाहिए ताकि सूर्य की किरणों से सीधा संपर्क न हो।
लू से बचाव के अतिरिक्त उपाय
उन्होंने आगे बताया कि धूप में खड़े वाहनों में बच्चों या पालतू जानवरों को छोड़ना खतरनाक हो सकता है। खाना बनाते समय घर में हवा का आवागमन बना रहे, इसके लिए खिड़कियां और दरवाजे खुले रखने चाहिए। उच्च प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना चाहिए, लेकिन बासी भोजन से पूरी तरह बचना जरूरी है। दोपहर के समय, जब सूरज अपने चरम पर होता है, घर से बाहर निकलने से बचें। यदि बहुत जरूरी हो तभी बाहर जाएं और सिर को ढककर रखें।
पारंपरिक पेय पदार्थों का उपयोग करें
गर्मी से राहत पाने के लिए घर में कुछ पारंपरिक पेय पदार्थों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। इनमें लस्सी, छाछ, मट्ठा, बेल का शरबत, नमक-चीनी का घोल, नींबू पानी और आम का पना शामिल हैं। ये पेय पदार्थ शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं और लू से बचाव में सहायक होते हैं। गजेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा, इसलिए इन उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है।
लू कब लगती है?
लू लगने की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब गर्मी के कारण शरीर के द्रव (बॉडी फ्लूइड) सूखने लगते हैं। शरीर में पानी और नमक की कमी होने पर लू का खतरा बढ़ जाता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यह जोखिम और भी अधिक हो जाता है। उदाहरण के लिए, शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारियां, मोटापा, पार्किंसंस रोग, अधिक उम्र और अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित लोगों को लू से बचाव के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, कुछ दवाओं का उपयोग करने वाले लोग, जैसे डाययूरेटिक्स, एंटीहिस्टामिनिक्स या मानसिक रोग की दवाएं लेने वाले, भी लू के प्रति संवेदनशील होते हैं।
लू के लक्षण
लू के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है ताकि समय रहते उपचार शुरू किया जा सके। गजेंद्र सिंह ने बताया कि लू के प्रमुख लक्षणों में गर्म, लाल और शुष्क त्वचा, पसीना न आना, तेज नाड़ी (पल्स), सांस की गति में तेजी, व्यवहार में बदलाव, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान, कमजोरी, चक्कर आना और मूत्र की कमी या न होना शामिल हैं। इन लक्षणों के कारण शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिससे आंतरिक अंगों, खास तौर पर मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है। इससे उच्च रक्तचाप की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है, जो स्थिति को और गंभीर बना देती है।


