Friday, February 21, 2025

Hapur अपहरण कर दुष्कर्म करने के अभियुक्त को सुनाई दस वर्ष के कारावास की सजा, बीस हजार के अर्थदंड से किया दंड़ित

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur नाबालिग का अपहरण कर दुष्कर्म करने के मामले में गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट उमाकांत जिंदल ने निर्णय सुनाया। न्यायाधीश ने मामले के बाल अपचारी को दोषी करार देते हुए दस वर्ष के कारावास सजा सुनाई। अभियुक्त को बीस हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया।

क्या है पूरा मामला (Hapur )

विशेष लोक अभियोजक हरेंद्र त्यागी ने बताया कि हापुड़ नगर कोतवाली क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने 21 जनवरी 2017 को कोतवाली में तहरीर दी। जिसमें उसने कहा कि 20 जनवरी 2017 की रात उसकी 14 वर्षीय पुत्री घर पर मौजूद थी। इस दौरान जसपुर उधमसिंह नगर उत्तराखंड निवासी उसके भाई की सास अपने 17 वर्षीय नाबालिग पुत्र के साथ उसके घर पहुंची। 21 जनवरी की सुबह दोनों आरोपी उसकी नाबालिग पुत्री का अपहरण कर ले गए।पुलिस ने दोनों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरु की। पुलिस ने उसकी नाबालिग पुत्री को बरामद किया और मुकदमे में दुष्कर्म सहित कई धारा बढ़ा दी। साथ ही पुलिस ने बाल अपचारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

न्यायाधीश ने सुनाई सजा (Hapur )

विशेष लोक अभियोजक हरेंद्र त्यागी ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट न्यायालय में चल रही थी। बृहस्पतिवार को सुनवाई पूरी होने पर न्यायाधीश उमाकांत जिंदल निर्णय सुनाया। न्यायाधीश ने बाल अपचारी को अपहरण व दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। साथ ही बाल अपचारी को बीस हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया। अर्थदंड जमा न करने पर बाल अपचारी को चार माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। साथ ही न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अर्थदंड की 80 प्रतिशत धनराशि पीडि़त को दी जाएगी।

न्यायाधीश ने यह भी दिया आदेश (Hapur )

विशेष लोक अभियोजक हरेंद्र त्यागी ने बताया कि इसके साथ ही न्यायाधीश उमाकांत जिंदल ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पीडि़ता को पुनर्वास के लिए पचास हजार रुपये की प्रतिकार धनराशि देने के भी आदेश किए है। साथ ही आदेश में यह भी कहा है कि प्राधिकरण के पास प्रतिकार की धनराशि देने के लिए फंड न होने पर जिलाधिकारी राज्य सरकार से उक्त धनराशि प्राप्त कर एक माह के अंदर पीडि़ता को दे।

 

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