Khabarwala24 News Hapur : Hapur हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके 72 साथियों की याद में अंजुमन हुसैनी के रजा़कारों ने आज यहां सैयद जमाल हुसैन शाह इमाम बारगाह सिकंदर गेट से मातमी जुलूस निकाला। जो अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ इमामबारगाह सिकंदर गेट पर समाप्त हुआ।
मजलिस हुई
जुलूस में मातमी लोग नोहा ख्वानी व मर्सिया पढ़ते हुए चल रहे थे। इससे पहले इमाम बाड़ा सैयद जमाल शाह सिकंदर गेट पर मजलिस हुई। मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना अफरोज मेंहदी ने कहा कि कर्बला की लड़ाई सही और गलत के बीच थी। उन्होंने कहा कि हुसैन सही थे जो इस्लाम को बचाना चाहते थे, लेकिन 1400 साल पहले कर्बला के मैदान में यजीदी सेना ने इमाम हुसैन को उनके परिवार सहित मार डाला था, इसकी कोई जरूरत नहीं है ज़ुल्म के आगे झुकें इसलिए हम हर साल इमाम हुसैन का मातम मनाते हैं।
कर्बला के शहीदों को दी श्रद्धांजलि (Hapur)
उन्होंने कहा, मुहर्रम के दौरान शिया समुदाय के लोग काले कपड़े पहनकर शोक मनाते हैं कि मुहर्रम महीने के पहले 10 दिनों को अशराह मुहर्रम कहा जाता है। मजलिस के बाद ज़ुल-जनाह (दुल दुल घोड़ा)और और अलम बरामद हुए। अंजुमन हुसैनी के अज़ादारों ने जंजीरों से मातम कर कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। जिसमें अंजुमन हुसैनी के अतहर अब्बास, मुहम्मद अली, जरगाम अब्बास, ताहिर हुसैन, मोमिन अब्बास ने नौहा ख्वानी की। जुलूस का नेतृत्व अंजुमन हुसैनी के अध्यक्ष राशिद हुसैन रिजवी ने किया. जुलूस में पुलिस प्रशासन की भी विशेष व्यवस्था थी. .