Lokshabha News Hapur News Khabarwala 24 News Hapur:मेरठ-हापुड़ लोकसभा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत प्राकृतिक दुर्घटनाओं के कारण अप्राप्त शवों के व्यक्तियों की मृत्यु की धारणा सम्बन्धी नियम की समीक्षा करके उसे वर्तमान सात वर्ष के स्थान पर अधिकतम तीन वर्ष किये जाने की मांग की।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बाढ़, तूफान, भूकंप तथा भूस्खलन इत्यादि प्राकृतिक आपदाओं के कारण देश के विभिन्न भागों में जनहानि होती रहती है। इस प्रकार की दुर्घटनाओं में मृत व्यक्तिओं में कुछ के शव प्राप्त हो जाते हैं ।परन्तु प्रभावित क्षेत्रों में शवों को ढूंढना अत्यंत कठिन होने के कारण अनेक व्यक्तियों के शव प्राप्त नहीं हो पाते। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 108 के अनुसार इन संभवतः मृत लेकिन लापता व्यक्तियों को सात वर्ष तक मृत नहीं माना जाता। परिणामस्वरूप इन प्रभावित परिवारों को बीमा, मुआवजा इत्यादि का लाभ नहीं मिल पाता तथा संपत्ति इत्यादि के मामले भी अटके रहते हैं। दुर्घटना के कारण पहले से ही भावनात्मक और मानसिक आघात से पीड़ित परिवार की आर्थिक समस्याएं इस कारण और भी बढ़ जाती हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु की धारणा पर निर्णय करने हेतू सात वर्ष की यह समयावधि वास्तव में लंबी हो जाती है। आधुनिक तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करके इस समयावधि को कम किया जा सकता है।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सभापति के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया कि प्राकृतिक दुर्घटनाओं के कारण अप्राप्त शवों के व्यक्तियों की मृत्यु की धारणा सम्बन्धी नियम की समीक्षा करके उसे वर्तमान सात वर्ष के स्थान पर अधिकतम तीन वर्ष किया जाए।