Wednesday, December 25, 2024

Hapur धर्म की स्थापना के लिए शब्द मय अवतार है भागवत

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur  श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक इंद्रेश जी महाराज ने बताया कि जब धर्म की हानि होती है तो उसकी रक्षा भगवान स्वयं करते है परंतु उनके स्वधाम को चले जाने पर धर्म किसकी शरण में जाता है।

भागवत महापुराण के पूजन के साथ हुआ शुभारंभ (Hapur )

कथा का दूसरे दिन शुभारंभ स्वामी रविन्द्रानंद जी महराज (मस्तराम बाबा) ने भागवत महापुराण के पूजन के साथ किया। व्यास जी ने बताया कि भगवान कही नहीं जाते तिरोहित होकर स्वयं श्री कृष्ण भागवत में अक्षर ब्रम्ह के रूप में समाहित होते हैं।इसी लिए भागवत जी को कृष्ण रूप माना जाता है। और स्वयं धर्म का अनुशासन करते हुए रक्षा करते हुए स्थापना करते है ।

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शारीरिक शुद्धता के साथ विचार पवित्र रखो (Hapur )

कथा वाचक इंद्रेश उपाध्याय ने शरीर की शुद्धि के साथ मन की शुद्धि पर भी जोर दिया ।शरीर की शुद्धि अगर है तो धर्म व्यवहार के रूप में आएगा यज्ञ तप अनुष्ठान भगवत वार्ता में रुचि भी होगी ।परंतु विचारों की शुद्धि है तो ठाकुर जी स्वयं हृदय में विराजते है।इसी लिए हमेशा शारीरिक शुद्धता के साथ विचार पवित्र रखो । गंदे विचार हमारे नैतिक पतन का कारण है।

Hapur
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भगवान श्री कृष्ण को पर्यावरण बहुत पसंद हैं (Hapur )

व्यास जी ने पर्यावरण की शुद्धि पर अपने विचार रखते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण को पर्यावरण बहुत पसंद हैं ठाकुर जी तो पर्यावरण प्रेमी है हमेशा प्राकृत में ही निवास करते है ।यमुना पर्वत कदंब कुंज रज सब प्रकृति ही तो है कलिया मर्दन लीला में यमुना को विष मुक्त किया यानि पर्यावरण की रक्षा ही तो है। अतः स्वयं श्री कृष्ण सर्वत्र प्रकृति में निवास करते है आरती में महामंडलेश्वर डॉ स्वामी विवेकानंद एवं संत रविन्द्रानंद जी के साथ डॉ राम सहाय त्रिपाठी  भी सम्मिलित रहे।

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