Khabarwala 24 News Hapur: Hapur दिल्ली रोड स्थित श्री बाला जी धाम में चल रही नौ दिवसीय भव्य श्री राम कथा मे बागेश्वर धाम से पधारे कथा व्यास पंड़ित रोहित जी महाराज ने भक्तो को सप्तम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए बताया कि अयोध्या में राम के राजतिलक की तैयारी, कैकेयी के कोप भवन में प्रवेश, राजा दशरथ की मनुहार में तीन वरदान देते हुए श्रीराम को वनवास की आज्ञा देना, सीता, लक्ष्मण सहित राम का वन गमन और चित्रकूट में भरत मिलाप के प्रसंग के माध्यम से रामायणकालीन पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक मूल्यों को बताया।
कैकेयी अपनी जिद पर अड़ी (Hapur)
उन्होंने कहा कि राम के वनगमन व कोप भवन के घटनाक्रम की जानकारी बाहर किसी को नहीं थी। कैकेयी अपनी जिद पर अड़ी थी। राजा दशरथ उन्हें समझा रहे थे। राम के निवास के बाहर भारी भीड़ थी। लक्ष्मण भी वहीं थे। महल में पहुंचकर राम ने पिता को प्रणाम किया। फिर पिता से पूछा क्या मुझसे कोई अपराध हुआ है। कोई कुछ बोलता क्यों नहीं। इस पर कैकयी बोली महाराज दशरथ ने मुझे एक बार दो वरदान दिए थे। मैंने कल रात वही दोनों वर मांगे, जिससे वे पीछे हट रहे हैं। यह शास्त्र सम्मत नहीं है। रघुकुल की नीति के विरुद्ध है। कैकेयी ने बोलना जारी रखा, मैं चाहती हूं कि राज्याभिषेक भरत का हो और तुम चौदह वर्ष वन में रहो।
तपस्वी का वेश धारा (Hapur)
कैकेयी ने राम, लक्ष्मण और सीता को वस्त्र दिए। सीता को तपस्विनी के वेश में देखना सबसे अधिक दुखदाई था। महर्षि वशिष्ठ अब तक शांत थे। अब उन्हें क्रोध आ गया। उन्होंने कहा कि वन जाएगी तो सब अयोध्यावासी उसके साथ जाएंगे। एक बार फिर राम ने सबसे अनुमति मांगी।
पिता से लिया आशीर्वाद (Hapur)
राम, सीता और लक्ष्मण जंगल जाने से पहले पिता का आशीर्वाद लेने गए। महाराज दशरथ दर्द से कराह रहे थे। तीनों रानियां वहीं थीं। मंत्री आसपास थे। मंत्री रानी कैकेयी को अब भी समझा रहे थे। ज्ञान, दर्शन, नीति-रीति, परंपरा सबका हवाला दिया। कैकेयी अड़ी रहीं। राम ने कहा राज्य का लोभ नहीं है।
कौशल्या सुध खो बैठीं (Hapur)
मधुकर ने कहा कि जैसे ही राम महल से निकले माता कौशल्या को कैकेयी भवन का विवरण दिया और अपना निर्णय सुनाया। राम वन जाएंगे। कौशल्या यह सुनकर सुध खो बैठीं। लक्ष्मण अब तक शांत थे पर क्रोध से भरे हुए। राम ने समझाया और उनसे वन जाने की तैयारी के लिए कहा। कौशल्या का मन था कि राम को रोक लें। वन न जाने दें। राजगद्दी छोड़ दें पर वह अयोध्या में रहें। कौशल्या ने राम को विदा करते हुए कहा जाओ पुत्र।
तुलसीदास ने भी श्री राम के महत्व समझाया (Hapur)
ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश में से भगवान विष्णु ने संसार की भलाई के लिए कई अवतार लिए हैं। भगवान विष्णु द्वारा कुल 10 अवतार लिए गए जिसमें से भगवान राम सातवें अवतार माने जाते हैं और यह अवतार भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से सबसे ज्यादा पूज्यनीय माना जाता है।भगवान श्री राम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनेक कथाएं लिखी गई हैं। वाल्मीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास ने भी श्री राम के महत्व को लोगों को समझाया है। भगवान राम ने कई ऐसे महान कार्य किए हैं जिसने हिन्दू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है।
असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया (Hapur)
भगवान विष्णु ने राम बनकर असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया। भगवान श्री राम ने मातृ−पितृ भक्ति के चलते अपने पिता राजा दशरथ के एक आदेश पर 14 वर्ष तक वनवास काटा। नैतिकता, वीरता, कर्तव्यपरायणता के जो उदाहरण भगवान राम ने प्रस्तुत किए वह बाद में मानव जीवन के लिए मार्गदर्शक बन गए।
एक कुशल और प्रजा हितकारी राजा थे राम (Hapur)
भगवान राम अपनी प्रजा को हर तरह से सुखी रखना चाहते थे। उनकी धारणा थी कि जिस राजा के शासन में प्रजा दुखी रहती है, वह राजा नरक भोगी होता है। महाकवि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस् में रामराज्य की विशद चर्चा की है। माना जाता है कि अयोध्या में ग्यारह हजार वर्षों तक भगवान राम का दिव्य शासन रहा।
यह रहे मौजूद (Hapur)
इस अवसर पर मन्दिर संस्थापक स्वामी अशोकाचार्य जी महाराज व मन्दिर पीठाधीश्वर स्वामी श्री यश्वर्धनाचार्य जी महाराज द्वारा व्यास पीठ का पूजन किया गया व प्रिंस गोयल, आरती गोयल, नेहा गोयल, मोहित गोयल, श्रीनिवास शर्मा, नीतू शर्मा, मयंक शर्मा , हर्ष शर्मा, कपिल, योगेंद्र, बृजपाल कसाना सहित सैकडो की संख्या मे भक्त जन मौजूद रहे।
