Thursday, December 12, 2024

Hapur जब जब भारत की धरती पर आक्रांताओं का तंत्र हुआ…

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur भारत विकास परिषद हापुड़ परिवर्तन के तत्वावधान मे यहां श्री चंडी मंदिर रोड स्थित क्रिस्टल पैलेस में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। परिषद की अध्यक्ष डा आराधना बाजपेई,सचिव शिल्पी गर्ग, कोषाध्यक्ष रेखा सिंह,महिला संयोजिका बीना गर्ग एवं मीडिया प्रभारी बबिता सिंह ने दीप प्रज्वलन करके कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। समस्त कवियो प्रतीक चिन्ह,पटका,श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया।

कवि समाज का पथ प्रदर्शन करते हैं (Hapur)

संस्था अध्यक्ष डा आराधना बाजपेई एवं सचिव शिल्पी गर्ग ने कहा कि कवि समाज का पथ प्रदर्शन करते हैं। कोषाध्यक्ष रेखा सिंह एवं महिला संयोजिका बीना गर्ग ने कहा कवियों की पंक्तियां अल्हादित एवं आनंदित कर देती हैं। मीडिया प्रभारी बबिता सिंह ने कहा कि कवियों की लेखनी जनमानस में ऊर्जा का संचार कर देती है।

जितने फूल हैं बाग में उद्यान में… (Hapur)

कवि सम्मेलन का मंच संचालन करते हुए डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा” जितने फूल हैं बाग में उद्यान में,उतनी वृद्धि हो तुम्हारे मान में सम्मान में,तुम महकते रहो गुलाब की तरह हरदम,दुआओं के शब्द हैं इतने, जितने सितारे हैं आसमान में “हरियाणा से पधारे कवि धर्मवीर शर्मा निश्चिंत ने पढ़ा “स्वच्छ निर्मल सा गंगा का पानी हो तुम इन फ़िज़ाओं की पूरी रवानी हो तुम, मैं पढ़ूँ जो तुम्हें तो कहाँ से पढ़ूँ , मेरे जीवन की पूरी कहानी हो तुम,”।

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बिना सूरज कभी गहरा अंधेरा छट नही सकता… (Hapur)

दिल्ली से पधारी कवयित्री सरला मिश्रा ने पढ़ा,” बिना सूरज कभी गहरा अंधेरा छट नही सकता, अगर है प्यार सच्चा तो किसी से बंट नहीं सकता , मिलेंगी मुश्किलें तनहाइयां चिन्ता निराशाऐं, मगर सच्चाइयों का बल कभी भी घट नहीं सकता । डा आराधना बाजपेई ने पढ़ा,”बढ़ना है अगर आगे तो रह गढ़ों तुम ,वैशाखियो को छोड़ स्वयं आगे बढ़ो तुम,अर्जुन का सारथी तो सदा कृष्ण रहा है पर बनके पार्थ कौरवों से स्वयं लड़ो तुम “।

जब जब भारत की धरती पर आक्रांताओं का तंत्र हुआ… (Hapur)

गाजियाबाद से पधारे कवि वैभव शर्मा ने पढ़ा, ” जब जब भारत की धरती पर आक्रांताओं का तंत्र हुआ, नवयुवकों के प्राणों से भारत फिर स्वतंत्र हुआ !! “पटियाली -कासगंज से पधारे ओज कवि शरद लंकेश ने मां का वर्णन करते हुए कहा इस धरती से उस अम्बर तक, मां का रूप निराला है। सर से लेकर पांव तो वो रत्न जड़ी इक माला है।

लक्ष्मण यति ने पढ़ा”बिल्ली हमको पढ़ा रही हिंसा करना पाप है, क्षण भर में पता लगा वह चूहा ही साफ है”सहसंयोजिका मीनू शर्मा ने कहा समाज में कवियों का योगदान अवर्णनीय है। कवि समाज में फैली विसंगतियों पर प्रहार करते हैं।

यह रहे मौजूद (Hapur)

इस अवसर पर ममता अग्रवाल,एडवोकेट ज्योति सिंह,बीना वर्मा,बबिता सिंह,शिल्पी गर्ग,डा आराधना बाजपेई रेखा सिंह,बीना गर्ग,नानक चंद शर्मा वीरेंद्र गुप्ता सहित शहर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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