Khabarwala 24 News New Delhi : Haryana Results Big Points हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के साथ ही सूबे में एक बार फिर प्रचंड जीत के साथ बीजेपी की वापसी हुई है। प्रदेश में लगातार तीसरी बार एक ही पार्टी की सरकार बनने जा रही है। दरअसल हरियाणा के रिजल्ट ने सबको चौंकाया। एंटी इनकम्बेंसी जैसी कोई चीज नजर नहीं आई और अब कांग्रेस हार पचा नहीं पा रही है।
कांग्रेस को लग रहा था कि लोकसभा चुनाव में मामला फिफ्टी-फिफ्टी पर जा टिका तो विधानसभा चुनाव में बाजी मार ले जाएंगे। कुछ कांग्रेस नेता इतने उत्साहित हो गए कि कहने लगे- लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कर दिया हाफ और विधानसभा में कर देंगे साफ। बता दें, लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटें मिली थीं। इस कड़ी में बीजेपी ने 7 ऐसे फैसले लिए, जिन्होंनें विधानसभा चुनाव में बीजेपी की राह आसान कर दी।
1. आखिरी मौके पर CM का चेहरा बदलना (Haryana Results Big Points)
बीजेपी ने सबसे पहले हरियाणा का चेहरा बदलने का फैसला किया। इसी साल मार्च का महीना था। सामने लोकसभा चुनाव था। पहले बीजेपी ने CM मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा करवाया और फिर एक साल से चल रही तैयारियों की कड़ी में नायब सिंह सैनी का नाम सामने आया। 12 मार्च 2024 को चुनाव से ठीक 6 महीने पहले भाजपा के तत्कालिक प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपकर बीजेपी ने जनता की नाराजगी कम कर दी। सैनी बेहद ही मिलनसार छवि के माने जाते हैं, जबकि खट्टर की अनुशासन वाली छवि थी। यही नहीं, मनोहर लाल खट्टर को प्रचार से दूर रखा गया, ताकि लोगों में किसी भी तरह की नाराजगी सामने न आए।
2. जातीय समीकरण के हिसाब से सैनी फिट (Haryana Results Big Points)
नायब सिंह सैनी की छवि बिल्कुल साफ-सुथरी है। बीजेपी को लगा कि अगर सैनी पर दांव लगाया जाता है तो हरियाणा में अलग 3 से 4 फीसदी वोट को अपने पक्ष में किया जा सकता है क्योंकि नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं, जबकि मनोहर लाल खट्टर पंजाबी हैं। ऐसे में हरियाणा में OBC समुदाय को सैनी के जरिया साधना आसान हो जाएगा. जबकि दूसरी ओर कांग्रेस पूरी तरह से जाट पॉलिटिक्स के सहारे आगे बढ़ रही थी। बीजेपी को पता था कि जाट CM घाटे का सौदा साबित हो सकता है, क्योंकि मुकाबले में दूसरी ओर भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं। ऐसे में 6 महीने के कार्यकाल में बीजेपी ने हरियाणा की राजनीति बदल दी।
3. दलित वोटर्स के लिए खास रणनीति (Haryana Results Big Points)
लोकसभा चुनाव के दौरान जाट वोटरों में कांग्रेस की पकड़ देखी गई, जिसके बाद बीजेपी गैर-जाट वोटरों को एकजुट करने में जुट गई। उम्मीदवारों का चयन उसी हिसाब से किया और मुद्दे भी तय किए गए। खासकर दलितों को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी ने खास रणनीति बनाई। हमेशा से किसी भी राज्य में दलित वोटर्स साइलेंट होते हैं। विनिंग कॉम्बिनेंशन को जमीन पर उतारने के लिए बीजेपी के चार प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, बिप्लब कुमार देब, सुरेंद्र नागर और सतीश पूनिया मैदान में उतर गए। चारों ने आपस में हरियाणा की लोकसभा सीटें बांटीं। हर प्रभारी ने अपने प्रभार की लोकसभा सीट पर माइक्रोमैनेजमेंट किया, जिसका सार्थक परिणाम निकला।
4. कु. सैलजा की नाराजगी BJP ने भुनाई (Haryana Results Big Points)
दलित वोटर को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी के हर मंच से कुमारी सैलजा का जिक्र होने लगा। दलित वोटर में ये संदेश गया कि कांग्रेस में जाट नेताओं का दबदबा है। हुड्डा की राजनीति की वजह से ही कांग्रेस में कुमारी सैलजा को सही सम्मान नहीं मिल पा रहा है, जिससे चुनाव से ठीक पहले दलित वोटर्स कांग्रेस से छिटक गए। हालांकि लगातार कांग्रेस ये दिखाने की कोशिश करती रही कि पार्टी में सबकुछ ठीक है लेकिन जब-जब कुमारी सैलजा सामने आईं। उनकी मन में छुपी नाराजगी साफ दिखी। सियासी पिच पर बीजेपी की असली तैयारी की शुरूआत तो एक साल पहले ही हो चुकी थी।
5. अंदरूनी कलह पर भी कसी लगाम (Haryana Results Big Points)
वैसे बीजेपी के अंदर भी चुनाव से पहले खूब घमासान हुआ। टिकट नहीं मिलने से नाराज कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी लेकिन बीजेपी ने पहली बार बागियों को मनाने की बजाय ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जो चुनाव जीत सकते। इसी कड़ी में प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री तक टिकट काट दिए गए। ये रणनीति का ही हिस्सा था। अनिल विज की मुख्यमंत्री की कुर्सी की चाहत लगातार सामने आती रही, लेकिन चुनाव के दौरान भी पार्टी अपने फैसले पर अडिग रही जबकि कांग्रेस में तीन खेमे दिखे और कांग्रेस आलाकमान इन तीनों को एक मंच पर लाने के लिए मशक्कत करते दिखा जिससे कांग्रेस के वोटरों का बिखराव हुआ और उसका फायदा बीजेपी को मिला।
6. किसान-जवान से जुड़े सरकारी ऐलान (Haryana Results Big Points)
हरियाणा में ‘किसान और जवान’ को नाराज कर कोई चुनाव नहीं जीत सकता है। बीजेपी भी ये बात बखूबी जानती थी इसलिए चुनाव के बीच बीजपी ने किसानों को 24 फसलों पर MSP पर खरीदारी की गारंटी दी। हरियाणा के अग्निवीरों को पक्की नौकरी और पेंशन देने का वादा तक कर दिया यानी एक साथ किसान और जवानों को अपने पाले में कर लिया। कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र में हरियाणा की हर महिला को 2000 रुपये हर महीने देने का जिक्र किया था। बीजेपी ने इसके जवाब में एक कदम बढ़ाकर 2100 रुपये देने की घोषणा कर दी फिर जनता को लगा कि केंद्र में बीजेपी सरकार है। दोनों के वादे एक जैसे हैं तो फिर बीजेपी को ही क्यों न मौका दिया जाए।
7. हुड्डा राज का बार-बार किया जिक्र (Haryana Results Big Points)
भले ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सत्ता से हटे 10 साल हो गए, लेकिन बीजेपी ने बार-बार जनता को याद दिलाया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो ‘खर्ची-पर्ची’ का दौर फिर शुरू हो जाएगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल की ज्यादतियों और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले भी चुनाव में खूब उठाए गए। ये साबित करने की कोशिश की गई कि कांग्रेस सिर्फ एक जाति विशेष की सियासत करती है। हुड्डा के दौर में केवल एक समुदाय को तरजीह दी जाती थी जबकि अब बिना किसी सिफारिश के हर वर्ग के लोगों को नौकरी मिल रही है। बीजेपी का ये दांव भी काम कर गया। खासकर युवाओं को जॉब को लेकर आश्वासन दिया गया कि योग्य लोगों को बिना सिफारिश नौकरी मिलेगी।