Khabarwala 24 News New Delhi : High Powered Laser Weapon भारत अपनी सैन्य क्षमताओं में लगातार इजाफा कर रहा है। इसी कड़ी में देश ने उच्च तकनीक वाले लेज़र हथियार (Directed Energy Weapon – DEW) के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने Mk-II(A) लेज़र-डायरेक्टेड एनर्जी वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण कर्नूल के नेशनल ओपन एयर रेंज (NOAR) में किया गया।
देश में ही डिजाइन और विकसित (High Powered Laser Weapon)
इस अत्याधुनिक हथियार ने एक साथ कई ड्रोनों को मार गिराने, लंबी दूरी से फिक्स्ड विंग ड्रोन को निशाना बनाने और दुश्मन के सर्विलांस सेंसर्स और एंटेना को नष्ट करने जैसी क्षमताएं सफलतापूर्वक दिखाईं। DRDO ने इसे देश में ही डिजाइन और विकसित किया है। यह प्रणाली सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS), हैदराबाद द्वारा बनाई गई है, जिसमें LRDE, IRDE, DLRL, देश के शैक्षणिक संस्थान और भारतीय उद्योग जगत ने भी योगदान दिया है।
क्यों खास है यह लेज़र हथियार? (High Powered Laser Weapon)
यह हथियार प्रकाश की गति से दुश्मन के टारगेट को निशाना बनाता है। इसमें हाई पावर लेज़र बीम का इस्तेमाल होता है, जो दुश्मन के ड्रोनों, मिसाइलों या उपकरणों को कुछ सेकंड में ही नष्ट कर सकता है। अगर दुश्मन का वारहेड इस लेज़र की जद में आता है, तो सीधा विस्फोट हो सकता है। यह सटीक और इंस्टेंट हमला करता है जिससे कोलैटरल डैमेज यानी आसपास के इलाकों को नुकसान नहीं होता।
ड्रोन युद्ध के लिए गेमचेंजर (High Powered Laser Weapon)
आजकल युद्ध के मैदान में ड्रोन और ड्रोन-स्वार्म (झुंड) एक नई चुनौती बन चुके हैं। इस तकनीक की सबसे बड़ी ताकत यही है कि यह एक साथ कई ड्रोनों को कुछ ही सेकंड में साफ कर सकता है। ऐसे में यह हथियार ड्रोन हमलों का सबसे सस्ता और प्रभावी जवाब बनता जा रहा है। इस लेज़र हथियार को चलाने की लागत कुछ सेकंड में सिर्फ कुछ लीटर पेट्रोल के बराबर होती है।
हाई-पावर लेज़र क्लब का हिस्सा (High Powered Laser Weapon)
इसके मुकाबले पारंपरिक मिसाइलें और गोला-बारूद बेहद महंगे हैं। यही वजह है कि सेनाएं अब DEW तकनीक को अपनाने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। भारत अब उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिनके पास हाई-पावर लेज़र डायरेक्टेड एनर्जी वेपन की तकनीक है। आने वाले समय में हथियार भारतीय सेना की युद्ध प्रणाली में अहम भूमिका निभा सकता है। इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों में भी आत्मनिर्भर और सक्षम है।