Khabarwala 24 News New Delhi: history of biryani हमारे देश में खाने-पीने के शौकीन बहुत से लोग मिल जाएंगे। वहीं बात बिरयानी की आए तो इसके शौकीनों की भी कमी नहीं है। ये नॉनवेजिटेरियन और वेजिटेरियन दोनों ही तरीकों से बनाई जा सकती है। हालांकि यदि किसी से इसका इतिहास पूछा जाए तो कम ही लोग इसके बारे में बता पाएंगे। आइए आज हम बिरयानी के रोमांचक सफर और इसके भारत आने तक की मजेदार जर्नी के बार में बताते हैं।
बिरयानी नाम कहां से लिया गया ? (history of biryani)
बिरियानी को भारत में बहुत चाव से खाया जाता है, लेकिन बता दें इसका नाम भी भारतीय नहीं है और ये डिश भी। दरअसल बिरियानी पर्शिया से होते हुए पूरी दुनिया में फैली है। ये पर्शियन शब्द बिरियन जिसका मतलब कुुकिंग से से पहले फ्राई और बिरिंज यानी चावल से निकला है।
बिरयानी की कहां से हुई उत्पत्ति? (history of biryani)
बिरयानी से जुड़ी कई सारी कहानियां मशहूर हैं। इसके भारत के बारे में कहा जाता है कि मुगल अपने साथ भारत लेकर आए थे। वहीं समय के साथ मुगल रसोइयों ने इसे और बेहतरीन डिश बना दिया। एक दूसरी कहानी के मुताबिक, बिरयानी की उत्पत्ति मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज महल ने किया था। कहा जाता है कि एक दिन बैगम आर्मी बैरक में गईं वहां उन्हें बहुत से सैनिक बहुत कमजोर दिखाई दिए। जब उन्होंने सैनिकों का ये हाल देखा तो बावर्चियों को आदेश दिया कि सैनिकों के लिए संतुलित आहार दिया जाए।
इसके लिए बेगम मुमताज ने बावर्चियों को चावल और मीट का ऐसा मिश्रण तैयार करने को कहा जिससे सैनिकों को ऊर्जा और ताकत मिले। इसी के बाद कई तरह के मसालों और केसर को मिलाकर बिरयानी का जन्म हुआ। एक कहानी ये भी है कि लगभग सन् 1398 के आसपास तुर्क-मंगोल विजेता तैमूर भारत में बिरयानी लाया था। वहीं लखनऊ और हैदराबाद के निजामों के बीच तो बिरयानी काफी लोकप्रिय थी।
खुशबू से ही भूख लगती थी (history of biryani)
बिरयानी मुगल बादशाहों के शाही खाने का हिस्सा रही है। मुगलई बिरयानी में मसालेदार मीट के साथ चावल और केवड़े की खुशबू का इस्तेमाल किया जाता था, जिसकी खुशबू आते ही अपने आप भूख लग जाया करती थी।