Khabarwala24 News Hapur( Holi News): पंडित संतोष त्रिपाठी बताते हैं कि सात मार्च को पूर्णिमायुक्त ,भद्रारहित प्रदोष काल सायं 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट के बीच का समय होलिका दहन श्रेष्ठ रहेगा।रंगोत्सव की होली 8 मार्च बुधवार को है। भद्रा होने के कारण Holika dahan होलिका दहन को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत है यद्यपि पूर्णिमा 6 मार्च को दोपहर बाद 4 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है, लेकिन वह पृथ्वीलोक की अशुभ भद्रायुक्त होगी , भद्रा अगले दिन 7 मार्च को सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी , निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार भद्राकाल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है।
निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार भद्रायां द्वे न कर्तव्य श्रावणी फाल्गुनी तथा श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी अर्थात यदि रक्षाबंधन में भद्रा हो तो राजा के लिए अशुभ कही गई है होली दहन के समय भद्रा हो तो ग्राम -घर के मुखियाओं के लिए अशुभ कही गई है। उत्तर प्रदेश ,बिहार ,आसाम, बंगाल आदि में पूरे दिन के साथ प्रदोषकाल व्यापिनी भद्रारहित पूर्णिमा है अतः 7 मार्च को ही सही रहेगा।
होली पर्व की कथा
नारद पुराण की कथानुसार भक्त प्रहलाद की रक्षा व हिरण्यकश्यप के आदेशानुसार उसकी बहन होलिका जिसको वरदान स्वरूप एक चादर मिला हुआ था जिसको ओढ़ने पर वो आग में नही जल सकती थी भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई , दैवयोग से वो चादर उड़कर प्रहलाद पर आ गई जिससे आग से बच गई और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई , बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में ही Holi होलिका दहन किया जाता है।
होलिका पूजन का शुभ मुहूर्त
7 मार्च 2022
मध्यान्ह -11.02 से 1.58 तक
होलिकादहन के समय मंत्र पढ़ते हुए होलिका की 7 बार परिक्रमा करें
असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव
कैसे करें होली का पूजन
पंडित संतोष त्रिपाठी बताते हैं कि अपने नगर में स्थित जहां पर Holika dahan होलीका दहन की तैयारी हो रही हो वहां जाकर हाथ में अक्षत पुष्प दुर्वा और जल लेकर पहले संकल्प करें कि आज होलिका दहन के पर्व में अपना नाम गोत्र अपने परिवार सहित समस्त अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए व कायिक वाचिक मानसिक पापक्षय के लिए समस्त प्राणियों व देशकी रक्षा के लिए व भगवान नरसिंह की प्रसन्नता के लिए मैं यह होलिका का पूजन करता हूं भगवान कृपा करें कहकर होलिका पर छोड़ दें । रोली चावल फूल चढ़ाकर कलावा से 4 या 7 परिक्रमा लगाएं गुड़ बताशे, सूखा गोला, सुपारी, लोंग, इलाइची, कपूर, देसी गाय के गोबर के कंडे इत्यादि सामग्री अर्पित करें। होलिका दहन के पश्चात गेहूं की बाली को जलती हुई अग्नि में फेंक कर एक दूसरे के हाथ में देते हुए गले मिलते हुए भाईचारे और मैत्री का संदेश देना चाहिए।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से होली का पर्व मौसम परिवर्तन के समय पर आता है
पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि अनेक प्रकार की औषधियों को हम Holika dahan होलिका दहन में जलाकर दूषित कीटाणुओं को नष्ट किया जाता है। अतः रोग नाश के उपाय के साथ साथ पर्यावरण और देश की रक्षा के लिए भी गिलोय की आहुति हम सब अवश्य दें। अनेक प्रकार के समस्याओं का समाधान के लिए अनेक प्रकार की आहुतियां होलिका में दी जा सकती हैं। जैसे कि शरीर के काया कष्ट की निवृत्ति के लिए राई और पीली सरसों का उबटन बना कर अपने हाथों पर मल कर डालें।
कृत्या बाधा नजर बाधा को हटाने के लिए
सरसों राई और लोबान अपने ऊपर से उतारकर होलिका में डालें
व्यापार वृद्धि के लिए कमलगट्टे मखाने और सूखा गोला की आहुति दें
रोग नाश के लिए बेलगिरी सूखा आंवला और गिलोय की आहुति दें
-समस्त ग्रहों की शांति के लिए नवग्रहों की सूखी लकड़ियां आक, ढाक, पीपल, गुलर, चिरचिटा, बड़, कुशा, समी ,दुर्वा की आहुति दे
– मुकदमे में विजय प्राप्ति के लिए सूखा गोला सूखे भांग के पत्ते के साथ आहुति दें .
-विद्या प्राप्ति के लिए एक जोड़ा लॉन्ग सुपारी छोटी इलायची भोजपत्र के ऊपर रखकर इसकी आहुति दें
– सुख और शांति के लिए सूखा आंवला और समी के सूखे पत्तों के साथ आहुति दें
-पुत्र प्राप्ति के लिए ब्राम्ही और वच पिलखन के पत्तों के साथ आहुति दें
– नजर बाधा की शांति के लिए गूगल लोबान और पीली सरसों की आहुति दें
-शत्रु बाधा की शांति के लिए शुद्ध तिल का तेल की आहुति दें 12.धन की प्राप्ति के लिए देसी गाय के गोबर के उपले पर देसी गौ का पंचगव्य रखकर मखाने के साथ आहूती दें
– कार्य की सिद्धि के लिए शतावर नागरमोथा जटा मासी के साथ आहुति दें
यह सब उपाय नरसिंह भगवान के नाम से प्रार्थना करते हुए श्रद्धा पूर्वक आहुति देनी चाहिए होलिका दहन में कूड़ा करकट प्लास्टिक कचरा फाइबर कागज पेपर गत्ता यह सब ना डालें अन्यथा डालने वाले को पाप तो लगता ही है और पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है
इसके अलावा होलिका वाले दिन हनुमान जी की पूजा अवश्य करें संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करें श्री चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य उत्सव भी इसी दिन मनाया जाता है इसलिए जितना हो सके होली में भगवान नाम संकीर्तन,भक्तमाल, रामायण, गीता, भागवत इत्यादि ग्रंथों का पठन-पाठन करना चाहिए।