Khabarwala 24 News New Delhi : Indian Railways Train Facts भारत में ट्रेन लोगों के आवागमन का प्रमुख साधन है। भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है। ट्रेन में सफर के दौरान ट्रेन में आपने कभी नीले, लाल और हरे रंग के कोच यानी डिब्बे देखे होंगे। इन डिब्बों का रंग अलग होने के पीछे एक वजह है।
ट्रेन में सफर करने वाले बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती है। लिहाजा यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर इन लाल रंग, नीले रंग और हरें रंग के कोच का क्या मतलब होता है, इन्हें क्यों और किस ट्रेन में लगाया जाता है।
नीले रंग के कोच (Indian Railways Train Facts)
ट्रेन में सफर के दौरान आपने नीले रंग के कोच सबसे ज्यादा देखें होंगे। ट्रेन में ज्यादातर नीले रंग के कोच दिखाई देते हैं। ऐसे कोच वाली ट्रेन की रफ्तार 70 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। ये लोहे के बने होते हैं। इनमें एयरब्रेक लगे होते हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में होता है।
वहीं ट्रेन में लाल रंग के कोच का भी इस्तेमाल होता है। नीले रंग वाले आईसीएफ (Integral Coach Factory) कोच के निर्माण की शुरुआत साल 1952 में हुई। ये तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) बनाए जाते हैं। बता दें कि कोच कई तरह के होते हैं। ट्रेन के नीले रंग के कोच को ICF यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (Integral Coach Factory) कहते हैं।
लाल रंग के कोच (Indian Railways Train Facts)
लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमैन (Link Hoffmann) भी कहा जाता है। यह खास तरह के कोच होते हैं। इन्हें जर्मनी में बनाया गया है। भारतीय रेलवे ने ऐसे कोच साल 2000 में भारत में आयात किए गए थे। मौजूदा समय में ऐसे कोच पंजाब के कपूरथला में बनाए जाते हैं। यह कोच भी आपने ट्रेनों में खूब देखे होंगे। लाल कोच एल्युमिनियम के बने होते हैं। वहीं दूसरे कोच के मुकाबले इनका वजन कम होता है। इनमें डिस्क ब्रेक लगी होती है।
ये वजन में हल्के होने के कारण 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भाग सकते हैं। लाल रंग के कोच आपने राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेन में देखे होंगे। इससे इन ट्रेनों को अच्छी स्पीड मिल पाती है। ट्रेन के दोनों नीले और लाल रंग के कोच में सिर्फ रंग का फर्क नहीं होता है. ये दोनों तरह के कोच एक दूसरे से काफी अलग हैं।
हरे रंग के डिब्बे (Indian Railways Train Facts)
इसके अलावा ग्रीन कलर के भी कोच होते हैं। इन्हें भारतीय रेलवे की ट्रेन गरीब रथ में लगाया गया है। इस तरह अलग-अलग रंग के ट्रेन कोच का प्रयोग भी अलग-अलग तरह की ट्रेन के लिए किया जाता है। इस हरे रंग पर कई तरह की चित्रकारी भी की जाती है। जिससे आकर्षक लगने लगता है। वहीं हरे रंग के कोचों का इस्तेमाल छोटी लाइनों पर चलने वाली मीटर गेज ट्रेनों में भी किया जाता है।
दुर्घटना के दौरान ICF कोच के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं। इसकी वजह ये है कि इसमें डुअल बफर (Dual Buffer) सिस्टम होता है। वहीं LHB कोच दुर्घटना के दौरान एक दूसरे पर नहीं चढ़ते हैं। इसकी वजह ये है कि इसमें सेंटर बफर कॉलिंग (Center Buffer Couling) सिस्टम लगा होता है। इससे जान माल का नुकसान कम होता है।