Khabarwala 24 News New Delhi : Indian Students Visa Issues अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) की रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन लोगों के वीजा रद्द किए गए। उनमें से आधे से ज्यादा वे छात्र थे जो ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) पर थे। इसका मतलब है कि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके थे और अमेरिका में नौकरी कर रहे थे। यह जांच डोनाल्ड ट्रंप सरकार के समय हुई 327 वीजा रद्दीकरण मामलों पर की गई। इसमें पाया गया कि भारत सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। इसके बाद चीन का नंबर आता है, जहां 14 प्रतिशत छात्रों के वीजा रद्द हुए।
हैरान करने वाला खुलासा (Indian Students Visa Issues)
ट्रंप प्रशासन का कहना था कि वीजा रद्द करने के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है और इसका सबसे बड़ा कारण राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में शामिल होना हो सकता है। रिपोर्ट बताती है कि जिन 327 मामलों की जांच की गई। उनमें से सिर्फ दो छात्रों का ही ऐसा कोई राजनीतिक विरोध का इतिहास था। वकीलों की संस्था ने कहा कि 86% छात्रों ने बताया कि उनकी किसी न किसी तरह पुलिस से बातचीत हुई थी, लेकिन इनमें से 33% मामलों को बाद में खारिज कर दिया गया। उन पर न तो कोई आरोप लगाया गया और न ही कोई केस चला।
एसोसिएशन ने उठाए सवाल (Indian Students Visa Issues)
एसोसिएशन ने कहा कि इन मामलों से साफ पता चलता है कि आगे चलकर बिना ठोस कारण वीजा रद्द करने और SEVIS (छात्र और विनिमय आगंतुक सूचना प्रणाली) रिकॉर्ड खत्म करने से रोकने के लिए पारदर्शिता, निगरानी और जिम्मेदारी जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को SEVIS समाप्त होने के खिलाफ अपील करने का एक आसान तरीका मिलना चाहिए ताकि वे नौकरी खोए बिना या यूनिवर्सिटी को बीच में लाए बिना अपनी बात रख सकें। ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज़्यादा है इसलिए यह और भी जरूरी हो जाता है।
न जानकारी मिली न नोटिस (Indian Students Visa Issues)
रिपोर्ट में बताया गया है कि एक भरोसेमंद स्रोत के अनुसार, 20 जनवरी 2025 से अब तक ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) ने 4,736 SEVIS रिकॉर्ड खत्म कर दिए हैं। इनमें से ज्यादा छात्र F 1 वीजा स्टेटस पर थे। सिर्फ 14 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्हें ICE की तरफ से कोई नोटिस मिला था और ये सभी छात्र OPT (Optional Practical Training) पर थे। उन्हें एक चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था कि उनका OPT अब खत्म कर दिया गया है। लगभग 7 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि उन्हें न तो ICE की तरफ से कोई जानकारी मिली और न ही उनके कॉलेजों से नोटिस मिला।