Thursday, September 19, 2024

Islam Religion मौलवी, मुफ्ती, हाफिज और इमाम में क्या होता है अंतर, इस्लाम में यह नियम जानकर उड़ जाएंगे होश

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Khabarwala 24 News New Delhi : Islam Religion जैसे हिंदुओं में हम साधु-संत, पंडित सुनते हैं परंतु इस्लाम में  अक्सर मौलवी, आलिम, हाफ़िज़, इमाम, उलेमा जैसे शब्द सुनाई दे ही देते हैं। इस्लाम धर्म को मानने वालों के मुंह से ठीक उसी तरह प्रयोग होने वाले इन शब्दों का मतलब अधिकतर लोग नहीं जानते हैं। ये सभी शब्द इस्लाम से जुड़े हैं। इन शब्दों के गहरे अर्थ हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग अंतर नहीं जान पाते हैं। आइए जानते हैं कि इन शब्दों का अर्थ और तात्पर्य…

मौलवी (Islam Religion)

धार्मिक विद्वानों को मुस्लिमों में मौलवी कहा जाता है। मौलवी को हदीस से लेकर कुरान तक की पूरी जानकारी होती है। वह इस्लामी धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करते हैं। इसके अलावा मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के अलावा मदरसों में बच्चों को इस्लाम की शिक्षा देना उनका काम होता है। वहीं मौलवी बनने के लिए सबसे पहले इस्लाम के ग्रंथों के बारे में जानने के साथ-साथ इस्लामी शिक्षा भी लेनी होगी।

उलेमा (Islam Religion)

मुस्लिम धर्म में उलेमा धार्मिक विशेषज्ञों का एक समूह होता है। उलेमा धार्मिक समुदायों द्वारा चुने गए नेता होते हैं। जो लोगों को इस्लामी कानून के बारे में जानकारी देते हैं। उलेमा बनने के लिए आपको इस्लामी ग्रंथों के साथ-साथ शरीयत और कई तरह के कानूनों के बारे में भी पढ़ना होगा।

मुफ़्ती (Islam Religion)

मुफ़्ती इस्लाम धर्म में एक अरबी शब्द है। मुफ़्ती का अर्थ होता है एक ऐसी संस्था जो न्याय दिलाने का काम करती है। मुफ़्ती इस्लाम में एक ऐसा पद है जो इस्लामी कानून के साथ-साथ धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय देता है। भारत के ज़्यादातर राज्यों में दारुल इफ़्ता और दारुल क़ज़ा जैसी संस्थाएँ हैं। जो इस्लामी विवाह और धर्म पर अपने धार्मिक विचार व्यक्त करती हैं। इसे फ़तवा कहते हैं. मुफ़्ती बनने के लिए इस्लामी ज्ञान की समझ होना ज़रूरी है।

हाफ़िज़ (Islam Religion)

मुस्लिम धर्म में हाफ़िज़ उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो कुरान का पूरा अध्ययन किया हो। मस्जिदों और मदरसों में हाफिज कुरान पढ़ाता है। हाफ़िज़ बनने के लिए कुरान के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है। कुरान की समझ रखने वाले को हाफ़िज़ कहते हैं।

इमाम (Islam Religion)

इमाम को इस्लाम में लोगों का नेतृत्व करना होता है। जिसका मतलब है कि इमाम किसी भी मस्जिद में पाँच बार नमाज़ अदा करने के साथ-साथ शिक्षा भी देता है।जब मस्जिदों के अंदर नमाज़ अदा की जाती है, तो वह व्यक्ति सभी नमाजियों का नेतृत्व करता है। वहीं इमाम बनने के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं होती।

कौन क्या करता है? (Islam Religion)

मौलवी धार्मिक विद्वान होता है, जो मदरसों में कुरान पढ़ाता है।
मुफ़्ती इस्लामी कानून के तहत न्याय दिलाता है।
उलेमा का काम धार्मिक समुदाय का नेतृत्व करना हैं।
हाफ़िज़ मस्जिद में कुरान के बारे में पढ़ाता है।
इमाम का काम नमाज़ पढ़ाना होता है।

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